AMIT RANJAN
बोलबा: सिमडेगा जिले के बोलबा प्रखण्ड डांडा पड़हा कुंदुरमुण्डा के सौजन्य से धुमकुड़िया भवन में एक दिवसीय कुडुख भाषा एवं संस्कृति का प्रशिक्षण दिया गया। इस मौके पर डांडा पड़हा समिति प्रमुख देवेंद्र भगत ने बताया कि सिमडेगा जिले के पश्चमी छेत्रों में उराँव जाति के लोग अपनी भाषा से दूर होते जा रहे हैं। इसी निमित डांडा पड़हा समिति के द्वारा धुमकुड़िया भवन कुंदुरमुण्डा में एक दिवसीय कुडुख भाषा एवं संस्कृति पर प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षक के रूप में सुरेश उराँव ने बताया कि उराँव जाति का मुख्य भाषा कुडुख है। कुडुख भाषा मे बात-चीत करना अति आवश्यक है। आज के वर्तमान समय मे सरकारी नौकरी के लिए एक पेपर अपनी मातृभाषा में परीक्षा लिखकर पास होना आवश्यक है। उन्होंने कुडुख भाषा के प्रतिदिन बोले जाने वाले शब्द एवं वाक्यों को भी बताया । प्रशिक्षक रंजन उराँव ने कुडुख भाषा छोटे-छोटे शब्द, छोटे-छोटे वाक्य, ब्याकरण आदि के बारे में विस्तार से बताया । वहीं उन्होंने मौसम के अनुसार अलग-अलग समय के गीत गाकर लोगो को इसकी महत्व को बताया। जिसमें सरहुल, जेठवारी, आसारी, करमा, फाल्गुन, शादी एवं अन्य गीत सुनाया। उन्होंने आदिवसी पर्व त्योहार, रीति-रिवाज, वेश-भूषा, नाच-गान, शादी-ब्याह, धर्म-संस्कृति आदि विषयों पर भी जानकारी दिया। रामकिशोर भगत ने कहा कि आज वर्तमान परिवेश में युवा पीढ़ी के लोग अपनी भाषा एवं पुरानी संस्कृति को भूलते जा रहे है। अपनी भाषा-संस्कृति को बचाए रखने के लिए, अपनी पहचान को बचाए रखने के लिए यह प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया । इस प्रशिक्षण को लगातार जारी रखा जायेगा। इस मौके पर देवेंद्र भगत,रामकिशोर भगत, छोटे खलखो, कालो खलखो, मनीष खलखो, अंजू खलखो, मीना तिर्की, सुधीर बेक, मिर्धा बेक, सुकरू बेक, सोनी खलखो, पार्वती खलखो, रंजीता बाड़ा एवं भारी संख्या में लोग मौजूद थे।