आदिवासी परंपरा में प्रकृति संरक्षण और लोक कल्याण के तत्व समाहित हैं : अलीरजा

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Eksandeshlive Desk

कैरो/लोहरदगा: शुक्रवार को आदिवासी परंपरा, रीति-रिवाज और संस्कृति न केवल जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि यह लोक कल्याण के लिए भी प्रेरित करती है। पौधारोपण, स्वागत के लिए हाथ धुलवाना, दहेज प्रथा से दूरी, बेटा-बेटी की समानता, सामूहिकता का बोध इत्यादि आदिवासी संस्कृति में सहज ही देखने को मिलते हैं जिसके निहितार्थ बड़े हैं। आधुनिकता की अंधाधुंध दौड़ से दूर आदिवासी समुदाय ने अपनी सभ्यता और संस्कृति को आज भी अक्षुण्ण रखने का बेहतरीन प्रयास किया है। ये बातें आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कैरो प्रखंड क्षेत्र के शाईन पब्लिक स्कूल नगजुआ में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए पीएमश्री रा. उत्क्रमित उच्च विद्यालय जिंगी के प्र. प्रधानाध्यापक अलीरजा अंसारी ने कहीं।इसके पूर्व कार्यक्रम स्थल में पहुंचने पर विद्यालय परिवार ने श्री अंसारी का जोरदार ढंग से नृत्य संगीत के साथ स्वागत करते हुए मंच तक लेकर गए। विद्यालय के निदेशक अब्दुल मजीद अंसारी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि आदिकाल से आदिवासी समुदाय मानव सभ्यता के न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों के प्रति सजग रही है। विद्यालय परिवार ने आज कार्यक्रम आयोजित कर आदिवासी परंपरा और संस्कृति को संरक्षण देने हेतु एक छोटा सा प्रयास किया है। इस अवसर पर विद्यालय के बच्चों ने प्रकृति संरक्षण और आदिवासी रीति रिवाज से संबंधित एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। छोटे-छोटे बच्चों ने स्लोगन, नृत्य, संगीत और नाटक के माध्यम से आदिवासियत की बेहतरीन झलक प्रस्तुत की। मौक़े पर उपस्थित मुख्य अतिथि अलीरजा अंसारी ने विद्यालय परिवार और बच्चों के लगन और कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कि शाईन पब्लिक स्कूल नगजुआ बच्चों को किताबी नॉलेज के अतिरिक्त व्यवहारिक सीख देने के लिए भी कृतसंकल्पित है। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के प्रधानाध्यापक फूलदेन सारस एवं धन्यवाद प्रेषण मिस सीमा ने किया। मौके पर विधालय शिक्षक-शिक्षिराएं पिंकी सांगा,अमीषा लकड़ा मनीषा कुमारी,शीला मिंज,परवेज आलम,अरमान अंसारी सहित सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।