by sunil
भ्रष्टाचारियों से झारखण्ड की सत्ता को मुक्त करने के लिए जमीनी मुद्दों से मुँह ना चुराये भाजपा नेतृत्व
रांची : पूर्व सांसद, पूर्व जैक उपाध्यक्ष और झारखण्ड मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष सूरज मंडल ने कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) अधिकार के विरोधियों और गैर आंदोलनकारियों का झारखण्ड की सत्ता पर काबिज होना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह एक ऐसा दर्द ह।ै जिसका दंश झारखण्ड पिछले 24 साल से लगातार भुगत रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के साथ ही कांग्रेस पर भी भ्रष्ट एवं झारखण्ड विरोधी तत्वों को हमेशा सिर माथे पर बिठाने का आरोप लगाते हुए डॉ. मंडल ने कहा कि वैसे तत्वों को झारखण्ड की सत्ता से बाहर करने के लिये भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जमीनी मुद्दों से मुँह चुराने की बजाय कठोर निर्णय करना चाहिये और वह निर्णय वैसा हो जो झारखण्ड और यहाँ के आदिवासियों व मूलवासियों के हित में हो। डॉ. मंडल ने कहा कि झारखण्ड की दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई यही है कि यहाँ सत्ता में पिछले 24 साल से वैसे तत्व हमेशा बरकरार रहे जो एक ओर स्वयं ही गैर आंदोलनकारी हैं साथ-साथ वे दृष्टिभ्रम के शिकार रहे। स्वार्थी ब्यूरोक्रेट्स ने उन्हें अपने हाथों पर न केवल नचाया बल्कि ऐसे दर्जनों नेता हैं जिन्होंने स्वयं ही भ्रष्ट बनकर झारखण्ड की पीठ में खंजर भोंक डाला। इस मामले में डॉ. मंडल ने नजम अंसारी का उदाहरण दिया और आरोप लगाया कि झारखण्ड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष रहते नजम अंसारी ने 100 करोड़ रुपए से अधिक का अवैध लेनदेन कर अनेक सरकार की अनेक बेशकीमती जमीन का गैर कानूनी तरीके से आवंटन किया है। उन्होंने कहा कि इसकी जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जानी चाहिये और सच सामने आना चाहिये. डॉ. मंडल ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार में विविध विभागों के साथ ही जितने भी निगम एवं बोर्ड है उन सभी में घोटालों और भ्रष्टाचार में लिप्तता की लंबी फेहरिस्त है और जब उसकी निष्पक्ष जाँच होगी तो वह घोटाला किसी भी व्यक्ति की कल्पना से बहुत आगे होगा। डॉ. मंडल ने कहा कि झारखण्ड गठन के तत्काल बाद ओबीसी आरक्षण की सीमा को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत कर देने एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण सीमा को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करना एक ऐसा निर्णय रहा जिसका खामियाजा झारखण्ड की एक विशाल आबादी को अबतक नुकसान पहुँचा रहा है। उन्होंने कहा कि यही एक ऐसा कारण है जिससे झारखण्ड का सामाजिक-आर्थिक विकास अबतक आधा-अधूरा है। इसी के कारण झारखण्ड अपने रास्ते से भटक गया है. जबकि अपने खनिज के कारण झारखण्ड के भारत के सबसे समृद्ध प्रदेश बनने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि झारखण्ड में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लौटाना समय की सबसे बड़ी जरूरत है क्योंकि जबकि 1999 के मुकाबले न तो 2000 और न ही 2024 में जनसंख्या में कोई वैसा सांख्यकीय या आनुपातिक परिवर्तन नहीं हुआ जिससे 14 प्रतिशत के घटे ओबीसी आरक्षण को जायज ठहराया जा सके और जबतक ऐसा नहीं होता तबतक यह ओबीसी के खिलाफ अन्याय ही है। डॉ. मंडल ने कहा कि बदलती हुई दुनिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित होते देश में झारखण्ड के लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये 24 साल में पहली बार मूलवासियों के हाथों में झारखण्ड की सत्ता की बागडोर सौंपी जानी चाहिये।