Eksandesh Desk
हजारीबाग: जिले में बाल विवाह कानून पूर्णतः लागू है इसके खिलाफ कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। अदालत ने कहा की बाल विवाह बच्चों के जीवनसाथी चुनने के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह फैसला गैरसरकारी संगठन ‘सेवा’ और कार्यकर्ता निर्मल गोराना की याचिका पर आया जिन्होंने बाल विवाह के गंभीर मुद्दे को उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने समुदाय आधारित दृष्टिकोण और बहु-क्षेत्रीय समन्वय पर जोर देते हुए सरकार और प्रशासन से बचाव, रोकथाम और अभियोजन की रणनीति पर काम करने की अपील की। दिशानिर्देशों में स्कूलों, धार्मिक संस्थाओं और पंचायतों को जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया है।
बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान, जो 200 से ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है, ने 2023-24 में 120,000 से ज्यादा बाल विवाह रोके और 50,000 बाल विवाह मुक्त गांव बनाए। 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने का लक्ष्य है जिसमें सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों की जरूरत बताई गई है। इस फैसले का स्वागत करते हुए गैरसरकारी संगठन जन सेवा परिषद् हजारीबाग के सचिव रामलाल प्रसाद ने कहा की सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से देश में बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों को मजबूती मिलेगी और हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह इन दिशानिर्देशों पर तत्काल प्रभाव से अमल करे ताकि 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। जन सेवा परिषद् हजारीबाग देश के 200 से ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ (सीएमएफआई) अभियान का एक अहम सहयोगी है जो 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए 400 से ज्यादा जिलों में जमीनी अभियान चला रहे हैं।