हर साल 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है ।
by sunil
रांची : नेशनल पॉल्यूशन प्रिवेंशन डे के मौके पर, इंडिया क्लीन एयर नेटवर्क ने प्लास्टिक प्रदूषण और माइक्रोप्लास्टिक से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य चिंताओं पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। सम्मानित डॉक्टरों के एक पैनल ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और पर्यावरणीय स्थिरता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संबंध को उजागर करते हुए तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉक्टरों के पैनल ने एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सलाह जारी की। इस स्वास्थ्य सलाह में नागरिकों, स्कूलों, कॉलेजों, सरकार और कमजोर समुदायों के लिए वायु प्रदूषण के प्रभाव को रोकने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। साथ ही इसमें रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाई जाने वाली सावधानियों और तरीकों के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषित सर्दियों के दिनों में बेहतर तैयारी की जा सके।इंडिया क्लीन एयर नेटवर्क ने “शहरीकरण और ठोस कचरा उत्पादन: पर्यावरणीय प्रभाव, रांची, झारखंड” पर एक रिपोर्ट भी जारी की। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, हर साल 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, और सिंगल-यूज प्लास्टिक एक बड़ा पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बन गया है। एक साधारण प्लास्टिक बैग को लैंडफिल में टूटने में 1000 साल तक लग जाते हैं। इसके बावजूद यह पूरी तरह नष्ट नहीं होता, बल्कि छोटे माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है, जो जहरीले रसायनों को सोखकर पर्यावरण को लगातार प्रदूषित करता है।लो-डेंसिटी पॉलीइथीलीन और पॉलीइथीलीन टेरेफ्थेलेट जैसे प्लास्टिक के उत्पादन से प्रति किलो प्लास्टिक पर लगभग 6 किलो उड2 का उत्सर्जन होता है। प्लास्टिक को जलाने से हानिकारक रसायन, जैसे पॉलीक्लोरीनेटेड बायफिनाइल्स , पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन डाइआॅक्सिन और फ्यूरान निकलते हैं, जो कैंसर और हार्मोनल गड़बड़ी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं।प्ला