रांची : जीपीओ में नेशनल कॉर्डिशन कमेटी आॅफ पेंशनर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय आह्वान पर वित्त विधेयक के माध्यम से 1972 के पेंशन अधिनियम में संशोधन कर आठवें वेतन आयोग के लाभ से वर्तमान केंद्रीय पेंशनर्स को वंचित किए जाने की साजिश के खिलाफ धरना – प्रदर्शन का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए राज्य सचिव एम जेड खान ने कहा कि केंद्र सरकार ने 25 मार्च को संसद में विपक्षी दलों के विरोध के पश्चात फाइनेंस बिल के माध्यम से 1972/ 2021 के पेंशन अधिनियम में संशोधन पारित कर 31 दिसंबर 2025 तक रिटायर होने वाले केंद्रीय कर्मियों को 8 वें वेतन आयोग के लाभ से वंचित कर दिया गया है। केवल जनवरी 26 या उसके बाद से रिटायर होने वाले कर्मचारियों को 8 वें वेतन आयोग का लाभ मिल पाएगा। केंद्र सरकार पेंशनर्स के साथ भेद भाव का रवैया अपना कर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन कर रही है। सरकार पेंशनर्स को जनवरी 2026 से पहले और जनवरी 2026 के बाद खाने में वगीर्कृत कर संशोधित पेंशन अधिनियम के तहत वेतन आयोग के लाभ से वंचित कर देना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील संख्या 10857/ 2016 में अपने फैसले में स्पष्ट रूप से निर्णय दिया कि संशोधित पेंशन निर्धारण के उद्देश्य से पेंशनभोगियों को दो श्रेणियां बनाने का कोई वैध औचित्य नहीं है। 7वें वेतन आयोग ने 1 जनवरी 2016 से पहले सेवानिवृत हुए पेंशनर्स और 1 जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत हुए पेंशनभोगियों के बीच समानता की सिफारिश की थी जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार करते हुए लागू किया था। पेंशनर्स के साथ सेवा निवृति की तारीख की बुनियाद पर भेदभाव करना असंवैधानिक है तथा वित विधेयक में संशोधन वेतन आयोग को अख्तियार देता है कि वह वर्तमान पेंशनर्स को लाभ से वंचित कर दे और 2026 के बाद रिटायर होने वाले को वेतन आयोग का लाभ दे।
पेंशन अधिनियम में संशोधन को लेकर आज के दिन पूरे देश में विरोध- प्रदर्शन किया जा रहा है और सरकार से मांग की जा रही है कि इस अहितकारी एवं कर्मचारी पेंशनर्स विरोधी कानून को अविलंब वापस लिया जाए। झारखंड के जिलों में भी प्रदर्शन किया जा रहा है। धरना – प्रदर्शन में मुख्य रूप से त्रिलोकीनाथ साहू,रमेश दुबे, सुखदेव राम, बी बारा, हसीना तिग्गा, अमिता मिंज, भवन बारला,राजेंद्र महतो, मन रखन महतो,. बी एन मिश्रा, देव चरण महतो,जयराम प्रसाद, विल्सन सहित अन्य लोग मौजूद थे।
