Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा का सफलतापूर्वक प्रत्यर्पण करवा लिया। 2008 के आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे में लाने के लिए कई वर्षों तक लगातार और ठोस प्रयासों के बाद यह संभव हो पाया है। राणा पर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के साथ 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे। हमले के पीछे आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हूजी) और पाकिस्तान स्थित अन्य षड्यंत्रकारियों का हाथ था।
लश्कर-ए-तैयबा और हूजी दोनों को भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया है। एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण पर एक आधिकारिक बयान जारी किया है। इसके अनुसार भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। राणा ने प्रत्यर्पण रोकने के लिए सभी कानूनी रास्ते आजमाए। भारत ने वांछित आतंकवादी के लिए अमेरिकी सरकार से सरेंडर वारंट हासिल किया और इसके बाद दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू हुई। आज आखिरकार प्रत्यर्पण संभव हो पाया। कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के जिला न्यायालय ने 16 मई 2023 को राणा के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। इसके बाद राणा ने कई अपील दाखिल कीं, जिन्हें खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने सर्टिओरी की रिट, दो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन दायर किया। उन्हें भी खारिज कर दिया गया। अमेरिका के न्याय विभाग, स्काई मार्शल की सहायता और भारतीय खुफिया एजेंसियों, एनएसजी के साथ मिलकर एनआईए ने पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को पूरा किया। इसमें विदेश और गृह मंत्रालय ने मामले को सफल निष्कर्ष तक ले जाने के लिए अमेरिका में अन्य प्रासंगिक अधिकारियों के साथ समन्वय बनाया।