मोदी सरकार के नौ साल पूरे, जानिए कुछ ऐसे काम जो भाजपा के साथ भी और BJP के बाद भी याद किए जाएंगे

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‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार…’
‘हम मोदीजी को लाने वाले हैं, अच्छे दिन आने वाले हैं…’
कुछ इन्हीं नारों के साथ साल 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा-मोदी सरकार के देखते ही देखते आज नौ साल पूरे हो गए हैं. नरेंद्र मोदी ने आज ही के दिन, 26 मई साल 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. भारत की आजादी के बाद ये पहला मौका था जब किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी को केंद्र की सत्ता में बहुमत हासिल हुई थी. साल 2014 में भाजपा को 17 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट किया था, जिसकी बदौलत भाजपा ने 282 सीटों पर जीत हासिल कर अपने पार्टी के सबसे तटस्थ क्षणों में दाखिल हो रही थी.

वहीं, पांच साल बाद जब साल 2019 में फिर से लोकसभा के चुनाव हुए तब पार्टी ने मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा और साल 2014 से भी कहीं बेहतर परफॉर्म किया. साल 2019 में भाजपा को 23 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट किया. और पार्टी ने अकेले 303 सीटें अपने नाम कर ली. और नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनने मे सफल रहे. वहीं, मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता पर बैठे आज पूरे नौ साल हो गए हैं. इस दौरान काफी कुछ हुआ. देश में, समाज में और संसद में. देश की जीडीपी के ग्राफ बढ़े, तो कई बार बढ़ती महंगाई ने लोगों के जेब ढीले कराए, लोगों की रसोई से लेकर पेट्रोल-डीजल के दामों तक में इजाफा हुआ. लेकिन हम आपको इन नौ सालों में भाजपा के द्वारा किए गए ऐसे कामों के बारे में बताएंगे, जो भाजपा के साथ भी औऱ भाजपा के बाद भी याद किया जाएगा.

शुरुआत करते हैं भाजपा के उस बड़े वादे से जिसपर कईयों का दावा था कि बाबरी मस्जिद ढ़हाए जाने के बाद तो राम मंदिर का स्वप्न क्षीण हो चुका है. राम मंदिर को लेकर भाजपा का रुख शुरू से ही सभी के लिए साफ और स्पष्ट रहा है. लेकिन साल 2014 से पहले तक भाजपा को छोड़कर किसी भी राजनीतिक पार्टियों ने बिल्कुल भी नहीं सोचा होगा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाया जा सकता है. सभी राजनीतिक पार्टियां यही मानती थी कि राम जन्मभूमि आंदोलन, भाजपा के लिए महज एक राजनीतिक शगुफा है. लेकिन गुजरात के विधानसभा से दिल्ली के संसद तक पहुंच बनाने वाले मोदी जैसे ही राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए, उन्होंने इसपर तुरंत काम करना शुरू किया. और आखिरकार कोर्ट के फैसले के बाद भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि 2024 के आम चुनाव से पहले राम मंदिर के कपाठ खोल दिए जाएंगे, जिससे हिंदू राष्ट्रवादी मतदाताओं के सामने मोदी और भाजपा के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं बच पाएगा.

अब बात करते हैं उस कश्मीर पर जिसकी वादियों को देखकर मुगल सम्राट जहांगीर के एक दफा कहा था कि ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त; हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’. यानि (धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं. बहरहाल, कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर भाजपा का स्टैंड जो पार्टी की स्थापना के दौर से रहा है, उस रुख पर भाजपा नेतृत्व ने अपने शाषण काल में फैसला कर यह बतला दिया कि मोदी-शाह की जोड़ी बड़े फैसले लेने से चुकने वाली नहीं है. कश्मीर से धारा 370 हटाने का निर्णय आसान नही था. जिसे आखिरकार मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में हटाकर पार्टी ने देश की जनता को बड़ा संदेश दे दिया. बता दें कि जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 और 35ए द्वारा दिए गए विशेष दर्जे को हटाने के लिए संसद ने 5 अगस्त, 2019 को मंजूरी दी थी. तब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे – ‘ऐतिहासिक भूल को ठीक करने वाला ऐतिहासिक कदम’ बताया था.

आखिर में भाजपा के तीसरे सबसे बड़े फैसले पर भी एक नजर डालते हैं. मोदी के प्रधानमंत्री रहते पिछले कुछ सालों में चर्चा के केंद्र में रहने वाला तीन तलाक बिल जिसे भाजपा ने दोनों सदनों से पास कराकर कानून बना दिया था. मुस्लिम महिला वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने triple talaq को गैरकानूनी बनाने के लिए एक बिल लेकर आती है. मोदी सरकार ने इस बिल को 25 जुलाई, 2018 को लोकसभा में और 30 जुलाई 2018 को राज्यसभा में पास करवाया था. जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 19 सितंबर 2018 को इसे मंजूरी दी थी और उसी दिन से यह कानून पूरे देश में लागू हो गया.

इन नौ सालों में भाजपा के द्वारा ऐसे कई और फैसले और बिल लाए गए, जो चर्चा में रहें. फिर चाहे वो कृषि कानून हो, nrc का मुद्दा हो, या फिर नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला. जाते जाते एक जरुरी बात कि कोई भी सरकार सत्ता में नेक मकसद से ही आती है. किसी सरकार का काम ज्यादा दिखता है, तो किसी ना नाम ज्यादा बिकता है. पर एक कहावत भी है कि जो दिखता है वही ज्यादा बिकता है. अब कौन दिखता है, कौन बिकता है और किसका खरीदार कौन है. ये अब कमेंट बॉक्स में आपको ही बताना है.