Eksandeshlive Desk
चुरचू / हजारीबाग: प्रखंड मुख्यालय सहित कोयलांचल इलाके में सोमवार को हूल क्रांति दिवस की 165वीं वर्षगांठ बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर प्रखंड के विभिन्न गांवों एवं पंचायतों में आदिवासी समुदाय के लोगों सहित अन्य समाज के नागरिकों ने भी सिदो, कान्हो, चांद, भैरो और वीरांगनाएं फूलो-झानो को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों और आदिवासी गीत-संगीत से हुई। कई स्थानों पर आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया गया। हूल क्रांति के इतिहास को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा की 30 जून 1855 को सिदो-कान्हो ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संग्राम की शुरुआत की थी।
इस आंदोलन में चांद, भैरो, फूलो और झानो ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और संथाल परगना से शुरू हुआ यह विद्रोह ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला देने वाला साबित हुआ। इस हूल क्रांति दिवस में बड़ी संख्या में महिला पुरुषों ने भाग लिया । कार्यक्रम में वक्ताओं ने हूल क्रांति को देश की आज़ादी की पहली चेतना बताया और कहा कि सिदो-कान्हो के बलिदान को आने वाली पीढ़ियों को जानना जरूरी है।
प्रखंड मुख्यालय परिसर में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां शिक्षक, छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान वक्ताओं ने संथाल विद्रोह को देश के स्वाधीनता संग्राम का आधार बताया और वीर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। स्थानीय विद्यालय में भी हूल क्रांति दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां बच्चों के द्वारा भाषण, कविता और नाटक के माध्यम से वीर शहीदों की गाथा प्रस्तुत की। प्रखंड के गांव, टोला, मुहल्ले में भी हूल क्रांति दिवस की गूंज सुनाई दी और वीर शहीदों की स्मृति में लोगों ने एक स्वर में नारा लगाया ।