Eksandeshlive Desk
रांची : झारखंड हिंदी साहित्य साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में तुलसीदास जयंती सह मंच का स्थापना दिवस समारोह वाई.बी.एन.विश्वविद्यालय रांची के सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम दो सत्रों में क्रमशः प्रथम सत्र सम्मान समारोह तथा द्वितीय सत्र कवि सम्मेलन के रूप में सम्पन्न हुआ। मां शारदे एवं गोस्वामी तुलसीदास को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से समारोह का शुभारंभ हुआ। मंच सचिव विनोद सिंह गहरवार ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य डॉ. धर्मेंद्र कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में वाईबीएन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सत्यदेव पोद्दार एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य डॉ. नंद जी दुबे थे।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जंग बहादुर पांडे पूर्व विभाग अध्यक्ष हिंदी रांची विश्वविद्यालय एवं मंच की आदर्योग्य माया प्रसाद जी की उपस्थिति रही। समारोह में शहर के तीन साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए हिमकर श्याम एवं अनिता रश्मि को ‘साहित्य संस्कृति सम्मान’ प्रदान किया गया। अहिन्दी भाषी डॉ. सुरिन्दर कौर नीलम को ‘हनुमान सरावगी हिन्दी साहित्य सम्मान’ से अलंकृत किया गया। सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी एवं हिंदी तथा भोजपुरी के प्रसिद्ध साहित्यकार निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के पुत्र हिमकर श्याम पेशे से पत्रकार, झारखंड के प्रसिद्ध कवि एवं शायर हैं, जो करीब 20 वर्षों से कैंसर जैसी घातक बीमारी से संघर्ष कर रहे हैं। कैंसर के इलाज दौरान कीमोथेरेपी प्रक्रिया बहुत ही कष्टदायक होती है परंतु अपने आत्मशक्ति के बल पर हिमकर श्याम जी कैंसर से लगातार युद्ध लड़ रहे हैं और उसे पराजित भी कर रहे हैं। उन्होंने स्वयं के संघर्षों पर अपनी एक प्रसिद्ध किताब भी लिखी है जिसका शीर्षक है ‘युद्धरत हूं मैं’, ‘दिल बंजारा’ उनकी ग़ज़लों का संग्रह है। एक दोहा संग्रह ‘जीवन की बारहखड़ी’ शीघ्र प्रकाशित होने वाला है। उनकी रचनाएं विभिन्न विधाओं के अनेक संकलनों में सम्मिलित हैं। हिमकर द्वारा संपादित पुस्तकें में ‘ज़िंदगी@लॉकडाउन’ (साझा काव्य संग्रह), ‘बाद-ए-सबा’ (साझा ग़ज़ल संग्रह) मुख्य हैं। ये ढाई दशक से ज्यादा समय से लेखन एवं पत्रकारिता में सक्रिय हैं। ये बीमारी के दौरान भी अपनी कलम को निरंतर चेतन अवस्था में रख लिखते रहते हैं, जिससे समय-समय पर मानवीय मूल्यों एवं अंतर संवेदनाओं पर लिखी उनकी रचनाएं पाठकों का मार्गदर्शन करती रहती हैं। हिंदी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में प्रशंसनीय योगदान सम्मान हिमकर श्याम को मिलने से झारखंड के काव्य जगत में हर्ष का माहौल है। प्रसिद्ध साहित्यकार अनिता रश्मि लघुकथा, छंदमुक्त काव्य के साथ गद्य एवं पद्य की ज्ञाता हैं वहीं प्रसिद्ध कवयित्री सुरिंदर कौर नीलम हिंदी गीतों एवं छंदोंबद्ध रचनाओं के लिए जानी जाती हैं। मुख्य अतिथि डॉ. धर्मेंद्र ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवन दर्शन पर विस्तृत एवं सारगर्भित व्याख्यान के साथ जीवन संपूर्ण नहीं बस यात्रा भर है, इसमें रामचरित मानस के राम को आदर्श बनाकर आगे बढ़ते रहने की शिक्षा दी। मंच संरक्षक विनय सरावगी की गरिमामय उपस्थिति रही। रामजी यादव (कुलपति वाई बी एन विश्वविद्यालय) के महती सहयोग से कार्यक्रम पूर्ण सफल रहा।
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मंच उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम अध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव जो अंग्रेजी, हिंदी एवं भोजपुरी के प्रख्यात विद्वान हैं उन्होंने तुलसीदास के साहित्यिक सामाजिक योगदान एवं विशेष रूप से साहित्य की सार्थकता एवं शक्ति पर अतिप्रेरणाप्रद संभाषण दिया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र का आरंभ कवि राज़ रामगढ़ी द्वारा मंगलाचरण एवं सरस्वती वंदना से तथा ममता मनीष सिन्हा के संचालन में हुआ। काव्यपाठ करने वाले रचनाकारों में निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव, हिमकर श्याम, विनोद सिंह गहरवार, ममता मनीष सिन्हा, ऋतुराज वर्षा, मनीषा सहाय, सुनीता कुमारी, अतीश कुमार, अंजेश कुमार, रजनी शर्मा चंदा, सुनीता श्रीवास्तव जागृति, विम्मी प्रसाद, कामेश्वर सिंह कामेश, सुरेंदर कौर नीलम, कृष्णा विश्वकर्मा बादल, मधुमिता शाहा, सुनीता झा, सीमा कुमार, सुनीता अग्रवाल पिंकी मुख्य रहे। मंच का संचालन मंच संयोजक ममता मनीष सिन्हा एवं मुक्ति शाहदेव ने किया। कार्यक्रम अध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के हाथों अंगवस्त्र द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में रांची के अन्य सक्रिय साहित्यिक मंच के अध्यक्षों को भी सम्मानित किया गया जिसमें मुख्य रूप से ‘साहित्य कुंज’ मनीषा सहाय ‘साहित्योदय’ रजनी शर्मा चंदा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम मंच मीडिया प्रभारी ऋतुराज वर्षा हैं। समारोह का समापन मंच कोषाध्यक्ष श्रीकृष्णा विश्वकर्मा बादल के धन्यवाद ज्ञापन एवं स्वादिष्ट भोजन के साथ हुआ।