मारवाड़ी महाविद्यालय में संस्कृत दिवस समारोह का हुआ आयोजन
Eksandeshlive Desk
रांची: मारवाड़ी महाविद्यालय, रांची तथा संस्कृत भारती, रांची के संयुक्त तत्त्वावधान में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में विषय “संस्कृत अध्ययन की प्रासंगिकता” विषय पर एक व्याख्यान भी आयोजित किया गया। समारोह का विधिवत शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन करके किया गया। समारोह मे मंगलाचरण के साथ – साथ विविध संस्कृत गीतों की प्रस्तुति की गयी। विभाग के द्वारा आयोजित श्लोक पाठ प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। इसमें विकास राम को प्रथम, रेणुका कुमारी को द्वितीय तथा मनीषा कुमारी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उपस्थित मारवाड़ी महाविद्यालय, महिला महाविद्यालय, राँची तथा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय राँची के संस्कृत विभाग के छात्र छात्राओं ने वैदिक मंत्रों का एक साथ सस्वर पाठ किया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, रांची के सहायक प्रोफेसर डॉ. शैलेश कुमार मिश्र ने कहा कि एवं ज्ञान एवं विज्ञान से उपयुक्त संस्कृत वातावरण सर्जन के लिए मारवाड़ी महाविद्यालय की टीम को बहुत-बहुत बधाई। धन का उद्देश्य केवल कल्याण होना चाहिए। हम तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय की छत्रछाया में फले-फूले और बड़े हुए हैं। इसीलिए “सा विद्या या विमुक्तये” विद्या वह है जो हमारी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दे। उपनिषदों पर पड़ी धूल ही हमारे चारित्रिक पतन का सबसे बड़ा कारण है। संस्कृत हजारों वर्षों तक बगैर किसी लिपि के श्रुति परंपरा के माध्यम से जीवित रही और इसी श्रुति परंपरा को वेद कहते हैं। संस्कृत एकमात्र ऐसी भाषा है जिसका नामकरण किसी स्थान के नाम पर नहीं है। इसके ठीक विपरीत बंगाल की भाषा भाषा का नाम बंगाली महाराष्ट्र की भाषा का नाम मराठी चीन की भाषा का नाम और अमेरिका के भाषा का नाम अमेरिकी है। आज पतंजलि का योग पूरे विश्व में धूम मचाए हुए हैं लेकिन नाग पंचमी पतंजलि का जन्म दिवस से शायद ही किसी को ज्ञात हो। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार ने कहा संस्कृत पढ़ने वाले स्वयं और अपने विषय पर गर्व करें और इस भाषा का निरंतर प्रयोग करते रहें। जिस अंग का प्रयोग हम कम करते हैं धीरे-धीरे वह अंग निष्क्रिय हो जाता है। इस प्रकार संस्कृत यदि हमारे बोलचाल की भाषा बनी रहेगी तभी जीवंत रहेगी । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. जगदम्बा प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार द्वारा 1969 में एक पत्र जारी कर सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को वेदारम्भ दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन को विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाने के लिए निर्देशित किया था। तब से लेकर आज तक श्रावणी पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस का आयोजन किया जाता है। संस्कृत एकमात्र ऐसी भाषा है इसमें अर्थोपार्जन तो बताया ही जाता है अर्थोपजन कहां कब और कैसे करना है इस पद्धति का भी बोध कराया जाता है। संपूर्ण पृथ्वी को अपना परिवार मानने की संकल्पना केवल और केवल संस्कृत भाषा में ही है। गणित और विज्ञान, कम्प्यूटर एवं तकनीकी संस्कृत में निहित हैं। कार्यक्रम की सारस्वत अतिथि डॉ स्नेह प्रभा महतो ने कहा की महान संस्कृत वैयाकरण पाणिनि आज भी दुनिया में व्याकरण की खोज के लिए संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हैं। संस्कृत दिवस मनाते हुए गर्व की अनुभूति होती है, संस्कृत का यह श्लोक “विद्या ददाति विनयम्” आज भी हर व्यक्ति को विनम्र बने रहने हेतु प्रेरित करता है। उन्होंने बताया कि दुनिया की सभी भाषाओं में संस्कृत सर्वश्रेष्ठ है। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ राहुल कुमार ने किया। विषय का उपस्थापन महाविद्यालय के छात्र सुमित कुमार के द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ जयप्रकाश रजक के द्वारा किया गया। इस अवसर डा. चन्द्रमाधव सिंह, डा. लक्ष्मी कुमारी, श्रीमती मनीषा बोदरा, डा. रीना माधुरी, डॉ सरिता कुमारी, डॉ. बहालेन होरो, डा. सीमा चौधरी, डा. बसन्ती रेनू हेम्ब्रम. डॉ बैद्यनाथ कुमार, डॉ लता, अशोक कुमार महतो, संतोष रजवार रोनाल्ड, पंकज खल्खो, डा. सुनीति नायक, डा. अवध बिहारी महतो, डा. घनश्याम प्रसाद आदि उपस्थित रहे।