साइकोलॉजी विभाग में अनुचित दायित्व सौंपने पर अबुआ अधिकार मंच ने किया विरोध

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रांची: मारवाड़ी महाविद्यालय के साइकोलॉजी विभाग में अनुचित तरीके से विभागीय दायित्व सौंपे जाने के मामले पर अबुआ अधिकार मंच ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। अबुआ अधिकार मंच के विशाल कुमार यादव ने मारवाड़ी महाविद्यालय के प्राचार्य को मांग पत्र सौपते हुए कहा कि झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम संशोधित अधिनियम 2018-19 की धारा 2(श्) के अनुसार पथ प्रदर्शकों को शिक्षक की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, जो 15 फरवरी 2019 से प्रभावी है। साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा रिट सं. 2631/2018 में पारित आदेश की कंडिका 41 के अनुसार सभी पथ प्रदर्शक 15 फरवरी 2019 या उसके बाद 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर स्वत: सेवानिवृत्त माने जाएंगे। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा लैब टेक्नीशियन एवं पथ प्रदर्शकों की नियुक्ति, प्रोन्नति एवं पदावनति की समीक्षा हेतु एक समिति का गठन किया गया है तथा सभी विश्वविद्यालयों से शीघ्र रिपोर्ट भी मांगी गई है। ऐसे में समिति की समीक्षा एवं निर्णय के पूर्व किसी पथ प्रदर्शक को विभागीय जिम्मेदारी सौंपना पूर्णत: नियमविरुद्ध और प्रश्नवाचक है। मंच ने गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब विभाग में वरिष्ठ स्थायी संकाय सदस्य कार्यरत हैं, तो एक प्रश्नचिन्हित व्यक्ति को विभागीय दायित्व सौंपना पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रशासन के सिद्धांतों का उल्लंघन है।अबुआ अधिकार मंच ने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच कर दोषियों पर एक सप्ताह के भीतर कठोर कार्रवाई की जाए। मंच ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे महाविद्यालय में धरना-प्रदर्शन एवं तालाबंदी करने को बाध्य होंगे। मुख्य रूप से विशाल कुमार यादव ईशा गुप्ता रोशन कुमार साहू के अलावा कहीं सदस्य मौजूद थे।

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