सीमाएं कम से कम 30 किलोमीटर के दायरे में अतिक्रमण से मुक्त होनी चाहिए : अमित शाह

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम (वीवीपी) की समीक्षा बैठक में सीमावर्ती जिलों में अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाने पर जोर देते हुए कहा कि सीमाएं कम से कम 30 किलोमीटर के दायरे में अतिक्रमण से मुक्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये अतिक्रमण एक सुनियोजित डिजाइन के तहत किए जा रहे हैं, जिन पर सख्ती से रोक लगाना आवश्यक है। अमित शाह ने यहां मंगलवार को गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित वीवीपी पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने वीवीपी का लोगो भी लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम-1 में प्रशासन कार्यक्रम तक सीमित रहा, लेकिन वीवीपी-2 में दृष्टिकोण बदलना होगा। उन्होंने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे सीमावर्ती इलाकों में अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाने की दिशा में कदम उठाएं। सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर दायरे तक सभी अतिक्रमण समाप्त होने चाहिए। गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने समुद्री और भू सीमा से बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाकर सराहनीय कार्य किया है।

संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया जा रहा : गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अंतिम गांव को “देश का पहला गांव” की उपाधि देकर सीमावर्ती इलाकों को देखने का दृष्टिकोण बदल दिया है। वीवीपी की परिकल्पना सीमांत गांवों से पलायन रोकना, हर नागरिक तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना और इन गांवों को देश और सीमा की सुरक्षा का उपकरण बनाना जैसे तीन बिंदुओं पर आधारित है। अमित शाह ने कहा कि आने वाले वर्षों में वीवीपी से जुड़े गांव देश और सीमाओं की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस कार्यक्रम के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया जा रहा है तथा पर्यटन और रोजगार सृजन के नए अवसर खोले जा रहे हैं।गृहमंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टरों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को केवल वीवीपी की सीमाओं में नहीं रुकना चाहिए, बल्कि इसे आगे बढ़ाकर और उपाय तलाशने चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सभी विभाग मिलकर सीमांत गांवों को सुरक्षा का उपकरण बनाएं। शाह ने कहा कि अगर होम-स्टे जैसी योजनाओं को हर सीमांत गांव तक ले जाया जाए और राज्यों के पर्यटन विभाग बुकिंग की उचित व्यवस्था करें, तो सीमावर्ती गांवों का कोई भी घर खाली नहीं रहेगा और हर परिवार को रोजगार मिलेगा। जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि नागरिक गांव न छोड़ें और आबादी में वृद्धि हो। अरुणाचल प्रदेश में वीवीपी लागू होने के बाद कई सीमावर्ती गांवों में आबादी बढ़ी है, जो सकारात्मक संदेश है। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से स्पष्ट कहा था कि जनसांख्यिकीय बदलाव चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सीमांत जिलों के कलेक्टर इस मुद्दे को गंभीरता से देखें, क्योंकि डेमोग्राफिक बदलाव सीधे तौर पर देश की सुरक्षा को प्रभावित करता है और यह केवल भौगोलिक परिस्थिति नहीं बल्कि एक निश्चित डिजाइन के तहत हो रहा है। उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों और सीएपीएफ से भी इस पर सतर्क रहने की अपील की।

सीमांत गांवों को आत्मनिर्भर, समृद्ध और सुरक्षित बनाया जा रहा : गृहमंत्री ने कहा कि योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन के लिए कलेक्टर सीएपीएफ के साथ समन्वय करें। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां आईटीबीपी रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे दूध, सब्जी, अंडे और अनाज आदि वाइब्रेंट गांवों से खरीद रही है। इसी तरह, डेयरी कोऑपरेटिव बनाकर सीएपीएफ और सेना की दूध की आपूर्ति गांवों से ही सुनिश्चित की जा सकती है। यह रोजगार सृजन का एक प्रभावी मॉडल बनेगा। अमित शाह ने कहा कि सीमांत गांवों में सड़क, दूरसंचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। वीवीपी को सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रशासन की स्पिरिट बनाना होगा। उन्होंने मनरेगा के तहत तालाब बनाने, वृक्षारोपण और स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की संभावना पर भी जोर दिया। गृहमंत्री ने कहा कि वीवीपी से सीमांत गांवों को आत्मनिर्भर, समृद्ध और सुरक्षित बनाया जा रहा है। इससे पलायन रुकेगा, रोजगार बढ़ेगा और देश की सुरक्षा मजबूत होगी। उन्होंने सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम को सरकारी योजना की तरह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी के रूप में लागू करें। कार्यशाला में गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार, गृह सचिव, सीमा प्रबंधन सचिव, वीवीपी के दोनों चरणों में शामिल राज्यों के मुख्य सचिव, सीमा की रक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के महानिदेशक और सीमावर्ती जिलों के जिलाधिकारी भी उपस्थित थे।

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