जेआरएफ पास शोधार्थी त्रस्त जनजातीय भाषा विभाग व विवि अपनी निद्रा में मस्त: अबुआ अधिकार मंच

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कुरमाली भाषा-साहित्य विषय से एनइटी -जेआरएफ उत्तीर्ण किए हुए छात्र-छात्राओं को पीएचडी पंजीकरण में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा

sunil verma

रांची: क्षेत्रीय एवं जनजातीय विभाग के जेआरएफ क्वालिफाइड शोधार्थी का एक प्रतिनिधिमण्डल अबुआ अधिकार मंच के अभिषेक शुक्ला एबम विशाल कुमार यादव के नेतृत्व में रांची विश्वविद्यालाय के छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष सुदेश कुमार साहू से मुलाकात कर उन्हें रांची विश्वविद्यालय क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा के छात्र-छात्राओं की समस्याओं से अवगत कराया। अभिषेक शुक्ला के नेतृत्व मे पहुंचे छात्र ने कहा के रांची विश्वविद्यालय में कुरमाली भाषा-साहित्य विषय से एनइटी -जेआरएफ उत्तीर्ण किए हुए छात्र-छात्राओं को पीएचडी पंजीकरण में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण अनेक छात्रों का भविष्य अंधकारमय होने की स्थिति में पहुँच गया है। वर्तमान में झारखंड राज्य में कुरमाली विषय के केवल दो ही नियमित शिक्षक हैं, जो रांची विश्वविद्यालय में ही कार्यरत हैं। इनमें से केवल एक ही शिक्षक पीएचडी शोध निर्देशन के लिए योग्य हैं, किंतु उनकी सीटें पहले ही भर चुकी हैं।अभिषेक शुक्ला ने कहा
ज्ञात हो कि जब से रांची विश्वविद्यालय में कुरमाली सहित अन्य 8 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को मानविकी संकाय से अलग कर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकायह्व बनाया गया है, तब से कुरमाली विषय के शोधार्थियों को मनमानी तरीके से मानविकी संकाय के शिक्षकों के अधीन पंजीकृत होने से रोक दिया गया है ।जबकि रेगुलेशन के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के पॉइंट नंबर दो में यह साफ अंकित है कि क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा के छात्र-छात्राएं मैनिटीज के विषय के शिक्षकों के अधीन अपना शोध कार्य कर सकते हैं जबकि इससे पूर्व कुरमाली शोधार्थी संस्कृत और हिन्दी विषयों के शिक्षकों के मार्गदर्शन में शोध कार्य करते थे, जिससे उनका शैक्षणिक भविष्य प्रभावित नहीं होता था। अभिषेक शुक्ला के नेतृत्व मे पहुंचे छात्रों ने कहा कि शोध निर्देशक की कमी के कारण उनका शोध कार्य बाधित हो रहा है छात्र छात्राओं ने रांची विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग किया। शुक्ला ने आगे कहा के जूनियर रिसर्च फैलोशिप की अवधि 3 साल की होती है इसमें से अधिकांश छात्र-छात्राओं का 2 साल से 2.6 साल बीत चूका है अगर विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर ध्यान नहीं देता है तो इन सभी 30 से 35 छात्र-छात्राओं का जूनियर रिसर्च फैलोशिप एक्सपायर कर जाएगा तथा छात्र-छात्राओं के मेहनत पर पानी फिर जाएगा। रांची विवि के छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष सुरेश कुमार साहू ने मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्र हित में सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया है। अबुआ अधिकार मंच व छात्र -छात्राओं का प्रतिनिधि मंडल मंगलवार को विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात कर उनके सामने समस्याओं को रखकर समाधान की मांग करेगा समाधान नहीं होने पर मंच विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन की और अग्रसर होगा।

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