कंचन जंघा टूरिस्ट फेस्टिवल में पहली बार विधायक की पहल पर शामिल हुआ साहिबगंज
SUNIL KUMAR
साहिबगंज: झारखंड सहित मुख्य रूप से साहिबगंज जिला के पर्यटन स्थल की विशेषता के साथ इस कंचन जंघा टूरिस्ट फेस्टिवल में साहिबगंज जिला पहली बार शामिल हुआ है। इसकी पहल राजमहल विधायक मो. ताजउद्दीन उर्फ एमटी राजा के माध्यम से की गई। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट का मुख्य केंद्र बिंदु सिलीगुड़ी में आयोजित इस टूरिस्ट फेस्टिवल में झारखंड और विशेष कर साहिबगंज जिला को जोड़ने का प्रयास किया गया है। ताकि हमारा क्षेत्र भी पर्यटन के क्षेत्र में विकसित हो और यहां पर्यटकों का बड़े पैमाने पर आगमन हो जिसके लिए सुविधा और सुरक्षा भी सरकार के माध्यम से की जाएगी। पर्यटन स्थल के विकास एवं पर्यटकों के लिए झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड की नई सोच व ऊर्जा कल्पना सोरेन एक्सपर्ट के साथ पर्यटन स्थल को सजाने एवं संवारने की कवायद की जा रही है। वही झारखंड सरकार के पर्यटन एवं खेल मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के माध्यम से लगातार सजाया और व्यवस्थित किया जा रहा है। राजमहल विधायक ने टूरिस्ट फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा कि मैं झारखंड के साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल से हूं जो पश्चिम बंगाल का सीमावर्ती और झारखंड का वह इलाका है जो नॉर्थ ईस्ट को भी जोड़ता है। राजमहल की पहाड़ियां राजमहल का इतिहास और राजमहल की गंगा की अविरल धारा अध्यात्म सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां विदेशी पर्यटकों का समय-समय पर आगमन होते रहता है।जिसमें अमेरिका, इंग्लैंड स्पेन के साथ अन्य देश के पर्यटक आए दिन राजमहल पहुंचकर यहां के ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटक स्थल का भ्रमण करते है। झारखंड की संस्कृति को देखते है। झारखंड का एकमात्र पक्षी अभ्यारण बर्ड सेंचुरी जो राजमहल के उधवा में है यहां ठंड के मौसम में नवंबर से फरवरी तक साइबेरियन पक्षियों का आगमन होता है। जो पर्यटक और पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। गंगा तट पर लगने वाले राजमहल का राजकीय माघी पूर्णिमा मेला जिसमें झारखंड पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित नेपाल के आदिवासी श्रद्धालु अपने धर्म गुरु के साथ पहुंचकर अखाड़ा लगाकर 7 दिनों तक पूजा अर्चना करते हैं इसलिए आदिवासी का महाकुंभ भी कहा जाता है। साहिबगंज जिला पर्यटन एवं ऐतिहासिक स्थल से भरा पड़ा है। मोती झरना जलप्रपात, अमर शहीद सिदो-कान्हू कि जन्मस्थली भोगनाडीह, क्रांति स्थल पंचकठिया बरहेट में है। विश्व प्रसिद्ध कन्हाई नाट्य शाला इस्काॅन मंदिर, जामी मस्जिद, बाराद्वारी, सिंघी दलान, अकबरी मस्जिद, फांसी घर, फॉसिल्स पार्क, फूड ग्रैंड फॉसिल्स, तेलीयागढ़ आदि है। झारखंड की राजधानी रांची के पास हुंडरू फॉल्स,जोन्हा फॉल्स, दसम फॉल्स, टाइगर हिल, रॉक गार्डन, बिरसा जूलॉजिकल पार्क, जगन्नाथ मंदिर, दिउड़ी मंदिर, रामगढ़ के पास रजरप्पा मंदिर, गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ पर पारसनाथ मंदिर जो लगभग 27 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। दुमका का मसानजोर डैम व बाबा बासुकीनाथ मंदिर, धनबाद का मैथन डैम एवं पंचैत डैम, देवघर का बाबा बैजनाथ धाम मंदिर एवं त्रिकूट पर्वत अपने ऐतिहासिक और अध्यात्म के साथ पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और यहां विभिन्न राज्यों से पर्यटकों का लगातार आगमन होता है। नॉर्थ ईस्ट सहित अन्य इलाकों से झारखंड के लिए कई ट्रेन संचालित है जिससे पर्यटक आसानी से पहुंच सकते हैं वहीं झारखंड के रांची एवं देवघर में एयरपोर्ट भी संचालित है। एयरपोर्ट शुरू होने से पर्यटकों का आवागमन में और भी वृद्धि हुई है। उन्होंने टूरिस्ट फेस्टिवल के माध्यम से लोगों को झारखंड एवं साहिबगंज की विशेषता को बताते हुए भ्रमण करने का आग्रह किया है। जिला प्रशासन साहिबगंज के माध्यम से तैयार किया गया वीडियो फुटेज भी स्लॉट में संचालित की गई जिसके माध्यम से लोगों ने साहिबगंज जिला के पर्यटन स्थलों को भी देखा और जाना है।इसके अलावे फ्लेक्स बैनर एवं हैंड बिल का भी हजारों की संख्या में वितरण किया गया। जिसमें साहिबगंज जिला एवं झारखंड के विभिन्न हिस्सों में कैसे पहुंचे क्या-क्या माध्यम है और कितनी दूरियां हैं यह विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। इधर राजमहल विधायक के माध्यम से पर्यटन को विकसित करने की इस सकारात्मक पहल की सराहना करते हुए स्थानीय लोग स्थानीय व्यवसाई ने सरहाना की है। सभी ने कहा कि पहली बार दूसरे राज्य के साथ झारखंड सरकार की समन्वय स्थापित कर पर्यटन को विकसित करने की पहल की गई जो सराहनीय है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नॉर्थ ईस्ट पर्यटन के जानकारी और कार्यक्रम के संयोजक राज बसु, प्रसिद्ध फुटबॉलर और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया व भूटान के मेयर सहित पश्चिम बंगाल के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे यह मेला तीन दिवसीय आयोजित है।