सोहराय पर्व में मानव व पशुओं के बीच स्थापित है गहरा सम्बंध

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Eksandeshlive Desk

चुरचू /हजारीबाग: दीपावली पर्व पूरे धूमधाम व हर्षोउल्लास के साथ पूरे भारत देश में मनाया जाता है। झारखंड में दीपावली व सोहराय की एक अलग पहचान है। पूरे झारखंड में विधि विधान पूर्वक के साथ मनाया जाता है। दीपावली के अंतिम दिन घर के पालतू गाय बैल व अन्य मवेशी व जानवरों की गोवर्धन पूजा लोगों के द्वारा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वैसे सोहराय पर्व झारखंड में प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। सोहराय पर्व दीपावली के एक दिन बाद मनाया गया। सोहराय कला चित्र की कार्य प्रखंड के सुदूरवती इलाके में एक विशेष पहचान है। सुदूरवती गांव में आज भी शहरों की तुलना में विशेष चित्रकारी सोहराय कला, दिवार निपाई पोताई की जाती है। दीपावली की अगले दिन सुबह उठकर किसानों ने अपने जानवरों को नदी, तालाब सहित अन्य जल स्रोतों में जाकर नहलाते का काम करते हैं। उसके बाद किसानों ने अपने घर लाकर उसे महिलाओं द्वारा विधिवत श्रृंगार, पैर पूजन व रंगो से गाय, बैल को रंगने व पांच प्रकार का खाना (पखेवा)

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