Eksandeshlive Desk
रांची : श्रम एवं कौशल विकास विभाग के सचिव जितेंद्र कुमार ने कहा कि एंटरप्रेन्योर देश और राज्य के जीडीपी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस बढ़ते जीडीपी में आदिवासी उद्यमियों का रोल भी बहुत अहम है। झारखंड में हजारों आदिवासी उद्यमी के रूप में काम कर रहे है। मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में कई संभावनाएं हैं, आदिवासी उद्यमी इन संभावनाओं का लाभ जरूर उठाएं। आदिवासी आबादी का 26 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न व्यापारिक पहलों में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि श्रम एवं कौशल विभाग 1.50 लाख से अधिक आदिवासियों को स्किल्ड कर चुका है। इसमें 24 प्रतिशत से अधिक लोगों का प्लसमेंट हो चुका है। इसमें और वृद्धि करने करने पर जोर दिया जा रहा है। राज्य सरकार और विभाग आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए उद्योग जगत की मांग को देखते हुए श्रम एवं कौशल विभाग ने कई नये कोर्स तैयार किये हैं। आने वाले समय में उद्योग जगत में बड़े बदलाव आने वाले हैं। इसके लिए स्वयं को तैयार करें। जितेंद्र कुमार शुक्रवार को स्थानीय होटल में सीआइआइ झारखंड की ओर से आयोजित ट्राइबल एंटरप्रेन्योरशिप समिट में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस समिट का थीम “रूटेड इन हेरिटेज, राइजिंग इन एंटरप्राइज” था।
जियाडा के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन ने कहा कि जियाडा ने अपने लैंड बैंक का 10 प्रतिशत आवंटन वर्तमान में लैंड लूजर कम्युनिटी के लिए रखा है। हम सब मिलकर इस तरीके से अपने इकोसिस्टम को तैयार कर रहे हैं, जिसमें बिना भेदभाव के सबको एक सुरक्षित बाजार मिले। इसके अलावा जमशेदपुर के कुछ एरिया होम स्टे के माध्यम से ट्राइबल कम्युनिटी छोटे-छोटे पर्यटन उद्योग की तरफ बढ़ रही है। मैं उम्मीद करूंगा कि यह पूरे राज्य में इसका प्रसार हो और लोगों में यह जागरूकता आए और होम स्टे के माध्यम से हम एक आर्थिक प्रगति का रास्ता खोज सकें। झारखंड माइंस टूरिज्म की शुरूआत की गयी है। पर्यटन विभाग ने इसके लिए अलग से एक पैकेज डिसाइड किया है। जब हम माइंस के लिए पर्यटकों को ले जाते हैं, तो उनके लिए खाने, ठहरने समेत अन्य सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी। इस अवसर का लाभ उठाया जा सकता है। ट्राइबल इंडियन चैंबर के राष्ट्रीय महासचिव बंसत तिर्की ने राज्य सरकार ट्राइबल एंटरप्रेन्योरशिप बोर्ड का गठन करें, जिससे छोटे छोटे एंटरप्रेन्योर को सहयोग एवं सुरक्षा मिल सके। ट्राइबल समुदाय के लिए सरकार कई पॉलिसी बनाई है। जानकारी एवं जागरूकता के बिना ट्राइबल एंटरप्रेन्योर इसका लाभ नही उठा पा रहे हैं। सीआइआइ झारखंड के पूर्व चेयरमैन तापस साहू ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि झारखंड, अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और विरासत के साथ, आदिवासी उद्यमिता के लिए अपार अवसर प्रदान करता है। आदिवासी उद्यमियों में अपार क्षमता है, लेकिन सरकारी योजनाओं और नीतियों से संबंधित उचित मार्गदर्शन, वित्तीय साक्षरता और बाजार तक पहुंच की कमी के कारण उन्हें अक्सर व्यापार करने में कठिनाई जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। धन्यवाद ज्ञापन सीआइआइ के सदस्य असीम कंडुलना ने दिया। तकनीकी सत्र में अलग अलग विषयों पर टाटा स्टील फाउंडेशन के यशवंत सौरव, नाबार्ड के डीजीएम सुमन सौरव साहू, एक्सएलआरआइ के डॉ सौरव, अनिशेष मिश्रा, पंकज कुमार, उषा मार्टिन के सीएसआर हेड मयंक मुरारी, जयश्री चौधरी, एलेन जोसफ, तौफिक इकबाल, आइआइएम के प्रोफेसर गौरव मराठे, पूनम मधु तुंबा, रविकांत तिर्की, एन मराडी, मोनित बट कुमार, रवि राज मुर्मू और कपिल टोप्पो ने अपने विचार रखे। समिट में 210 से अधिक जनजातीय उद्यमियों, सामुदायिक नेताओं, नीति निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों और उद्योग प्रतिनिधियों को एक साथ लाया। शिखर सम्मेलन में 10 जनजातीय उद्यमियों द्वारा एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें उन्होंने अपने उत्पादों, नवाचारों और उद्यम क्षमता को व्यापक दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया।
