अंकित कुमार महतो
गुवाहाटी/रांची। असम के मोरियानी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक रुपज्योति कुर्मी झारखंड की प्राचीन बिनंदनिया झूमर लोकधरोहर को असम में नए आयाम दे रहे हैं। चाय जनजाति के बीच लोकप्रिय जननेता के रूप में वे दोनों राज्यों के बीच एक सांस्कृतिक सेतु बनकर उभरे हैं।लोकनृत्य और लोकसंगीत के प्रति उनके गहरे लगाव के कारण वे टुसू, करम और सोहराय जैसे पारंपरिक पर्वों के गीतों के भी दक्ष जानकार हैं। उनकी प्रस्तुतियों ने असम के कई आयोजनों में झारखंडी धुनों को नई पहचान दी है।राजनीति से इतर, वे पर्यावरण और जनजातीय संस्कृति के संरक्षण में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। बिनंदनिया झूमर को असम में जनभागीदारी के साथ जीवंत बनाने के उनके प्रयासों की व्यापक सराहना हुई है।फरवरी 2025 में गुवाहाटी में आयोजित भव्य समारोह में बिनंदनिया झूमर पर आधारित प्रस्तुति ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त किया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि में रुपज्योति कुर्मी की भूमिका प्रमुख रही, चाहे आयोजन की तैयारी हो या कलाकारों को प्रेरित कर मंच तक पहुँचाना। रुपज्योति कुर्मी केवल जनप्रतिनिधि नहीं, बल्कि लोकसंस्कृति के सशक्त संवाहक के रूप में उभर रहे हैं। झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को असम की मिट्टी में प्रतिष्ठा दिलाने का उनका प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है।
