Eksandeshlive Desk
रांची: संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वधान में हमेशा की भांति इस बार भी 26 नवंबर को प्रातः 10:00 बजे से 2:00 बजे तक संत निरंकारी सत्संग भवन बुध विहार में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में रांची के सांसद संजय सेठ जी विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष किशोर मंत्री जी उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा कृष्ण अग्रवाल उपस्थित थे निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के रक्तदान शिविर में 102 निरंकारी भक्तों ने रजिस्ट्रेशन करवाया जिसमें जांच के बाद 73 यूनिट सदर हॉस्पिटल ने रक्तदान लिया । जैसा की ज्ञात हो युग प्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी सदैव ही समाज कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। और उनके उपदेशों को मानते हुए 1986 से लगातार रक्तदान कैंप का सिलसिला जारी है।बाबा हरदेव सिह ने कहा था कि इंसानी रक्त मानव की नाड़ियों में बहना चाहिए ना कि नालियों में। उनके उपदेश के चलते संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा हर वर्ष समय-समय पर रक्तदान कैंपों आयोजित किए जाते है। सांसद संजय सेठ ने रक्तदान की सहारना करते हुए कहा कि संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन रक्तदान देने वाली विश्व स्तर की अपनी किस्म की अग्रणी संस्था है। जो इंसानों को मजहबों, जाति, रंगो, पहरावों, से ऊपर उठ कर हर एक में परमात्मा के स्वरूप को पहचाने का आह्वान देती है। संत निरंकारी मिशनपूरे विश्व में इस आयोजन को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहा। रक्तदान शिविर के साथ-साथ सत्संग सभा का भी आयोजन किया गया जिसमें गुरु के संदेश को बताया गया कि ज्ञान से मनुष्य का अज्ञान नष्ट हो जाता है परमात्मा सूर्य की रोशनी के समान उनके अंदर ज्ञान प्रकाशित कर देता है। ज्ञान की रोशनी से अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है मन में जितने भी भ्रम होते हैं सब दूर हो जाते हैं हर तरफ परमात्मा ही नजर आता है। जैसे सूर्य की रोशनी में हर वस्तु स्पष्ट नजर आती है इस प्रकार ज्ञान का उजाला प्राप्त करके हर समय हर जगह परमात्मा नजर आने लगता है और जीवन प्रकाशमय हो जाता है यहां भगवत गीता में श्री कृष्णा के संदेश का भी सहारा लेते हुए कहा गया की श्री कृष्णा कहते हैं कि परम तत्व को जानकर आत्मबोध होने पर फिर मनुष्य मन बुद्धि को निष्ठा पूर्वक प्रभु में लगाकर परमात्मा की शरण में रहकर ही मुक्ति प्राप्त करता है। श्री कृष्णा परमात्मा का ज्ञान लेने को प्रेरित कर रहे हैं और कह रहे हैं कि परमात्मा को जानना ही ज्ञान है और परमात्मा को न जाना अज्ञान है मानव जीवन का उद्देश्य ही मुक्ति यानी मोक्ष जन्म मरण से मुक्त प्राप्त करना है ।यह मुक्ति परमात्मा को जानकर इसका ज्ञान लेकर ही पाई जा सकती है प्रभु को जाने बिना मोक्ष या मुक्ति संभव नहीं सत्संग के उपरांत भक्तों के बीच गुरु का अटूट लंगर वितरण किया गया।