आईआईएबी संस्थान किसानों के विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रहा है : शिल्पी नेहा तिर्की

Agriculture

विश्व खाद्य दिवस पर आईसीएआर-भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईएबी परिसर में किसान गोष्ठी एवं इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन

Eksandeshlive Desk

नामकुम : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीएआर-आईआईएबी), नामकुम के गढ़खटगा में विश्व खाद्य दिवस 2025 के अवसर पर एक किसान गोष्ठी एवं अनुसूचित जनजातीय किसानों के लिए इनपुट वितरण कार्यक्रम का आयोजन संस्थान परिसर में किया। इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस की थीम बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए हाथ से हाथ मिलाकर थी, जो कृषि, विज्ञान और समाज के सामूहिक प्रयासों से एक सतत एवं समृद्ध भविष्य के निर्माण पर बल देती है। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि विभाग के संयुक्त सचिव डॉ गोपाल तिवारी, संयुक्त सचिव, राज्य के विभिन्न जिलों से आए लगभग एक हजार किसानों, महिला कृषक समूहों, युवा उद्यमियों और वैज्ञानिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर इस आयोजन को सफल बनाया।

सरकार, वैज्ञानिक संस्थानों और विभागों के प्रयासों का समन्वय समय की आवश्यकता : कार्यक्रम के दौरान मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीएआर-आईआईएबी) किसानों के विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य दिवस पर बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए हाथ से हाथ मिलाकर हमें यह याद दिलाती है कि जब सरकार, वैज्ञानिक संस्थान और किसान मिलकर काम करते हैं, तभी एक स्वस्थ, समृद्ध और आत्मनिर्भर कृषि तंत्र का निर्माण संभव होता है। उन्होंने अनुसूचित जनजातीय किसानों के लिए संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के आयोजन किसानों के आत्मबल और ज्ञान दोनों को बढ़ाते हैं। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार हर स्तर पर उनके कल्याण, तकनीकी सहयोग और आयवृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं संयुक्त सचिव गोपाल जी तिवारी ने कहा कि कृषि और जैव प्रौद्योगिकी का सम्मिलन राज्य के किसानों के लिए नए अवसरों के द्वार खोल सकता है। उन्होंने आईसीएआर-आईआईएबी के निदेशक डॉ. सुजय रक्षित और आईआईएबी की टीम के तीव्र विकास कार्यों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए सरकार, वैज्ञानिक संस्थानों और विभागों के प्रयासों का समन्वय समय की आवश्यकता है। वहीं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एससी दुबे ने किसानों के जीवन में बदलाव लाने में विज्ञान के प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे ज्ञान अद्यतन के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों के संपर्क में रहें और आर्थिक संकट से बचने के लिए अपनी फसलों में विविधता लाएं। दो महिला किसानों ने अवसर पर बोलते हुए आईसीएआर-आईआईएबी के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने उन्हें गुणवत्तापूर्ण बीज, टीकाकरण और खेती में वैज्ञानिक पद्धतियों से संबंधित ज्ञान उपलब्ध कराया।

हर किसान, वैज्ञानिक और नीति निर्माता को मिलकर कार्य करना होगा : कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. सुजय रक्षित ने की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान देश की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा का प्रहरी है, और का उद्देश्य उन्हें सशक्त, शिक्षित और तकनीकी रूप से समर्थ बनाना है। उन्होंने बताया कि संस्थान न केवल जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य कर रहा है, बल्कि राज्य के किसानों तक नवाचारों को पहुंचाने के लिए भी निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि बेहतर भविष्य के लिए हर किसान, वैज्ञानिक और नीति निर्माता को मिलकर कार्य करना होगा। यही इस वर्ष की थीम का वास्तविक संदेश है। कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिकों ने अनेक विषयों पर चर्चा की, जिनमें रबी फसलों (दलहन एवं तिलहन) की उन्नत तकनीकें, प्राकृतिक खेती प्रकृति के साथ संतुलन का मार्ग, झारखण्ड में बागवानी की संभावनाएं, बतख एवं पोल्ट्री पालन द्वारा ग्रामीण आजीविका में सुधार, पशुपालन एवं मत्स्य पालन, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली, किसान शिकायत निवारण पोर्टल, तथा भारत एवं झारखंड की प्रमुख कृषि योजनाएं शामिल थीं। इस अवसर पर अनुसूचित जनजातीय किसानों के बीच उन्नत बीज, जैव उर्वरक, पौध सामग्रियां एवं अन्य कृषि इनपुट्स का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. बिजय पाल भड़ाना के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और किसानों के प्रति आभार व्यक्त किया गया। यह आयोजन न केवल विश्व खाद्य दिवस की भावना को साकार करता है, बल्कि हाथ से हाथ मिलाकर किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के सामूहिक प्रयासों से बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम सिद्ध हुआ।

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