आईएएस अधिकारी विनय और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार, शराब घोटाले में एसीबी की बड़ी कार्रवाई

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Eksandeshlive Desk

रांची : शराब घोटाले आरोपी आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को जेल भेज दिया गया है। गिरफ्तारी के बाद दोनों को एसीबी के विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया। अगली सुनवायी अब 3 जून को होगी। इससे पहले एसीबी ने करीब छह घंटे तक दोनों अधिकारियों से पूछताछ की। पूछताछ के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों को एसीबी की कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट में पेशी से पहले दोनों का मेडिकल जांच भी करवाया गया।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य में कथित शराब घोटाले के सिलसिले में सरकार की अनुमति के बाद प्रीलिमिनरी एनक्वायरी (पीई) दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच के बाद एसीबी ने सरकार से अनुमति लेकर शराब घोटाले के सिलसिले में नियमित प्राथमिकी दर्ज की है। विनय चौबे उत्पाद विभाग के तत्कालीन सचिव हैं। उनके ही कार्यकाल में कथित तौर पर शराब घोटाला हुआ था। पूरा मामला झारखंड में 31 मार्च 2022 से लागू नई उत्पाद नीति से संबंधित है। आरोप है कि इसके लिए जनवरी 2022 में झारखंड में उत्पाद नीति को बदलने के लिए छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ तत्कालीन उत्पाद सचिव और अन्य अधिकारियों ने योजना बनायी और रायपुर में बैठक की थी।

यह भी आरोप है कि उत्पाद नीति लागू होने के बाद दो वर्षों तक झारखंड उत्पाद नीति में छत्तीसगढ़ की एजेंसियां कार्यरत रहीं। नकली होलोग्राम, अवैध शराब की सप्लाई कर झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति पहुंचाई गई। छत्तीसगढ़ के रायपुर में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इनफोर्समेंट केस इनफॉरमेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज किया था। पूर्व में ईडी ने पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी। तब सभी अधिकारियों के आईफोन सहित अन्य दस्तावेजों को भी ईडी ने जब्त किया था। झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह सहित अन्य के विरुद्ध छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा रायपुर में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ही ईडी ने गत वर्ष अपने यहां ईसीआईआर दर्ज किया था।

उक्त केस रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया था। उनका आरोप था कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर के बैरन बाजार निवासी अनवर ढेबर और उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश पूर्वक झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। झारखंड में देसी और विदेशी शराब का ठेका सिंडिकेट के लोगों को दिलवाकर धोखाधड़ी की और झारखंड सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। इस सिंडिकेट में झारखंड में बेहिसाब नकली होलोग्राम लगी देसी शराब की बिक्री कर तथा विदेशी शराब की सप्लाई का काम दिलवाकर उन कंपनियों से करोड़ों रुपये का कमीशन लिया। इन्हीं आरोपों के आधार पर एसीबी झारखंड ने भी समानांतर जांच शुरू की थी।

आईएएस विनय चौबे ने पद का दुरुपयोग कर 38 करोड़ का पहुंचाया नुकसान : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शराब घोटाले के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी (9/25) में अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर सरकार को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। दर्ज प्राथमिकी में एसीबी ने तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को नामजद अभियुक्त बनाया है। प्राथमिकी में कहा गया है कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। आपराधिक साजिश रच कर, जालसाजी कर प्लेसमेंट एजेंसी को अनैतिक लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। एसीबी के मुताबिक जांच के दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर मंत्रीमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति मिलने के बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें अभियुक्तों को आइपीसी की धारा 120बी, 420, 467, 468, 471, 409, 407, 109, (बीएनएस की धारा 61(2), 318, 336, 340, 316, 45) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7(सी)/12, 13 (2) सह पठित धारा 13(1)(ए) के तहत आरोपित किया गया है।