Eksandeshlive Desk
नामकुम/रांची। गढ़खटंगा स्थित आईसीएआर-आईआईएबी के निदेशक डॉ. सुजय रक्षित को 2024 के लिए हाइब्रिड फसल अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए डॉ. एसके वासल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान एमएसएसआरएफ, चेन्नई की अध्यक्ष डॉ. सौम्या स्वामीनाथन द्वारा डॉ. आर. एस. परोदा और डॉ. त्रिलोचन की उपस्थिति में एनएएएस ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में दिया गया।
डॉ. रक्षित ने 23 मक्का संकर जारी किया है, जिनमें से 6 संकरों को व्यावसायिक बीज उत्पादन और विपणन के लिए निजी बीज कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है। उन्होंने भारत में पहले मास फाइटेट मक्का संकर को जारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीपीजीआर) के साथ विभिन्न लक्षणों के लिए4 मक्का को पंजीकृत किया है। राष्ट्रीय कार्यक्रम में सक्रिय प्रजनन लाइनों के हेटेरोटिक समूहीकरण को शुरू करने में उनके नेतृत्व और एनबीपीजीआर के राष्ट्रीय जीनबैंक में मक्का जर्मप्लाज्म के व्यवस्थित मक्का संकर कार्यक्रम को नई दिशा दी है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में संकर मक्का बीज उत्पादन केंद्र की स्थापना और उसे मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने जर्मप्लाज्म की विविधता जनसंख्या संरचना को समझने और विभिन्न लक्षणों के लिए जीनोमिक क्षेत्रों, क्यूटीएल की पहचान करने के लिए डीएनए मार्करों की खोज की। मक्के की गुणवत्ता में सुधार पर उनके ठोस प्रयासों से न केवल 23 बायो फोर्टिफाइड मक्का संकरों को जारी किया गया है बल्कि इन लक्षणों के पीछे अंतर्निहित जैव रासायनिक घटना को भी समझा गया है जिससे बेहतर मार्ग प्रशस्त हुआ है। विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों के खिलाफप्रतिरोध के तंत्र और आनुवंशिकी को समझने में उनकी भूमिका का मक्के की बेहतर किस्मों को विकसित करने में बहुत प्रभाव पड़ा।
डॉ. रक्षित ने उष्णकटिबंधीय मक्का में कुशल पुनर्जनन और परिवर्तन प्रोटोकॉल के विकास में योगदान दियजिसने भारत में मक्का में ट्रांसजेनिक और जीनोम संपादन अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने भारत में मक्का के लिए डीयूएस परीक्षण दिशानिर्देश विकसित किए जो 2007 से पीपीवी और एफआरए द्वारा उपयोग में हैं। 2018 के बाद से आक्रामक कीट फॉल आर्मीवर्म की चुनौती के प्रबंधन में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका विशेष उल्लेख के योग् है। उनके नेतृत्व में देश ने मक्के की उत्पादकता में 3 टन हेक्टेयर का आंकड़ा पार किया।
डॉ. सुजय रक्षित का जन्म 3 जनवरी 1970 को हुआ था। उन्होंने मक्का और ज्वार बाजरा, चावल और दालों सहित अन्य फसलों के सुधार के लिए पारंपरिक और आणविक प्रजनन के संयोजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ. रक्षित ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली से जेनेटिक्स में पीएचडी किया और बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, जापान से पोस्ट- डॉक्टरल रिसर्च कार्य किया। उन्होंने निदेशक के रूप में भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईजिस पद पर वे लगभग 6 वर्षों से कार्यरत हैं।