आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान बढ़ाकर किया 7.3 फीसदी

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Eksandeshlive Desk

मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेल उत्‍पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अनुमान को 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7.3 फीसदी कर दिया। आरबीआई ने ये संशोधन जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2 फीसदी की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए किया है। आरबीआई के गर्वनर संजय मल्होत्रा ने यहां 3 से 5 दिसंबर तक हुई तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस फैसले पर पहुंचने से पहले देश की उभरती हुई व्यापक आर्थिक स्थितियों और भविष्य के दृष्टिकोण का विस्तृत मूल्यांकन किया गया। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मजबूत उपभोग, वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार से देश की दूसरी तिमाही की जीडीपी दर में तेजी आई है। इसलिए आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के जीडीपी अनुमान को बढ़ाकर 7.3 फीसदी कर दिया है। यह पहले के अनुमान से लगभग आधा फीसदी अधिक है।

सर्वसम्मति से नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती : रिजर्व बैंक के गर्वनर संजय मल्होत्रा ने नीतिगत फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि साथ ही वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए विकास दर क्रमश: 7 फीसदी और 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026-27 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ क्रमश: 6.7 फीसदी और 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है। इससे पहले मल्होत्रा ने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था की गतिविधियां स्थिर हैं, ग्रामीण मांग मजबूत है और शहरी मांग में लगातार सुधार हो रहा है। इसको देखते हुए आरबीआई ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है। इससे मौजूदा ब्याज दर 5.5 फीसदी से घटकर 5.25 फीसदी हो गई है। नीतिगत ब्याज दरों में यह कटौती मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के दौर के बाद की गई है, जिसमें चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.2 फीसदी की मजबूत जीडीपी वृद्धि और महंगाई के निम्न स्तर का सहारा मिला है। देश की खुदरा महंगाई दर अक्‍टूबर, 2025 में तेजी से घटकर 0.25 फीसदी पर आ गई, जो रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर है।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई दर का अनुमान घटाकर दो फीसदी किया : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को जीएसटी रेट कटौती और खाद्य कीमतों में तेज गिरावट के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई दर का अनुमान 2.6 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी कर दिया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि महंगाई दर में गिरावट खाद्य कीमतों में सुधार की वजह से आई है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यहां मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 3 दिवसीय समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि कुल मिलाकर मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में लगाए गए अनुमान से कम रहने की संभावना है। इसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में गिरावट है। मल्होत्रा ने इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक पर आधारित (सीपीआई) खुदरा महंगाई अब दो फीसदी रहने का अनुमान है। उन्‍होंने इसके तीसरी तिमाही में 0.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 2.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही के लिए सीपीआई पर आधारित खुदरा महंगाई दर क्रमशः 3.9 फीसदी और 4.0 फीसदी रहने का अनुमान है।

जिंस की कीमतों में आगे चलकर नरमी आने की संभावना : महंगाई के परिदृश्य पर संजय मल्होत्रा ने कहा कि उच्च खरीफ उत्पादन, अच्छी रबी बुवाई, जलाशयों के पर्याप्त स्तर एवं मिट्टी में अनुकूल नमी से खाद्य आपूर्ति की संभावनाएं बेहतर हुई हैं। उन्होंने कहा कि कुछ धातुओं को छोड़कर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंस की कीमतों में आगे चलकर नरमी आने की संभावना है। संजय मल्‍होत्रा ने कहा कि अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव और भी कम है, क्योंकि कीमती धातुओं की कीमत में वृद्धि का प्रभाव लगभग 0.50 फीसदी है, जिसमें जोखिम दोनों ओर समान है।गौरतलब है कि खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में गिरकर 0.25 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई थी, जो मुख्य रूप से सब्जियों, फलों और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी गिरावट और जीएसटी दरों में कटौती के कारण हुई।

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