आरबीआई ने नीतिगत ब्‍याज दर को 0.50 फीसदी घटाकर किया 5.50 फीसदी, होम और कार लोन की ईएमआई कम होने का रास्ता साफ

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : महंगाई दर में नरमी के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने नीतिगत ब्‍याज दर (रेपो रेट) को 0.50 फीसदी घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया है। रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्‍होत्रा ने शुक्रवार को द्वैमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद यह एलान मुंबई में किया। आरबीआई के इस फैसले से होम लोन और कार लोन की ईएमआई कम होने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, ऐसा बैंकों की ओर से ब्याज दरों में कटौती के एलान के बाद ही हो पाएगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्‍होत्रा ने एमपीसी बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महंगाई दर में नरमी के बीच आरबीआई ने घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से प्रमुख नीतिगत ब्‍याज दर रेपो रेट को 0.50 फीसदी घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, “चालू वित्‍त वर्ष 2025-2026 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.50 फीसदी रहने का अनुमान है, जो हमारे पहले के पूर्वानुमान के अनुसार जारी रहेगी, जिसमें पहली तिमाही 6.50 फीसदी, दूसरी तिमाही 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही 6.4 फीसदी रहेगी।” उल्‍लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने साल 2025 में लगातार तीसरी बार एमएमसी की बैठक में नीतिगत ब्याज दरों रेपो रेट में कटौती का एलान किया है। इससे पहले आरबीआई ने इस वर्ष फरवरी और अप्रैल में लगातार दो बार रेपो रेट में 0.25-0.25 फीसदी तक की कटौती की थी, जिससे यह घटकर 6 फीसदी पर आ गई थी, जो इस बार की कटौती के बाद घटकर 5.50 फीसदी हो गई है।

आरबीआई गवर्नर मल्‍होत्रा ने कहा- अब रेपो रेट में और कटौती की गुंजाइश काफी कम : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि रेपो रेट में 0.50 फीसदी कटौती करने की घोषणा के बाद इसमें आगे और कम करने की बहुत कम गुंजाइश दिख रही है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को आधा फीसदी घटाकर 5.5 फीसदी पर लाने का फैसला किया गया है। रिजर्व बैंक फरवरी से लेकर अबतक रेपो रेट में एक फीसदी की कटौती कर चुका है। संजय मल्‍होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद मुंबई में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाई आने वाले आंकड़ों पर निर्भर करेगी। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मौद्रिक नीति के लिए अब बहुत सीमित गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान लगभग 6.5 फीसदी है, जबकि हम महंगाई दर के इस साल 3.7 फीसदी और अगले वर्ष के लिए चार फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगा रहे हैं। यदि यह सब होता है, तो फिर रेपो रेट में कटौती की बहुत सीमित गुंजाइश है। आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद जताई कि रेपो रेट में कटौती का आर्थिक वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में ही नजर आएगा। मल्‍होत्रा ने कहा, ‘‘हम आने वाले आंकड़ों पर नजर रखना जारी रखेंगे और मुख्य रूप से वही कदम उठाएंगे, जो आंकड़े हमें सुझाएंगे।’’ उन्‍होंने कहा कि ताजा कटौती के बाद रेपो दर पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। पिछले रुझानों की तुलना में इस बार प्रमुख नीतिगत ब्‍याज दर में कटौती का ग्राहकों के स्तर पर रूपांतरण कहीं अधिक तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है और विदेशी निवेशकों द्वारा अपना पैसा वापस भेजने के मामले में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है। यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशक भारत में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह मजबूत बना हुआ है। यह वित्‍त वर्ष 2024-25 में करीब 14 फीसदी बढ़कर 81 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पिछले वित्‍त वर्ष में 71.3 अरब डॉलर था। हालांकि, शुद्ध एफडीआई प्रवाह वित्‍त वर्ष 2024-25 में घटकर 40 करोड़ डॉलर रह गया है, जो एक साल पहले 10.1 डॉलर था। आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआआर) एक फीसदी घटाने की घोषणा की, इससे बैंकों के पास 2.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने इससे पूर्व फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25-0.25 फीसदी की कटौती की थी।

आरबीआई ने 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 6.5 फीसदी पर रखा बरकरार : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्‍त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है। इससे पिछले वित्‍त वर्ष 2024-25 में भी 6.50 फीसदी की विकास दर दर्ज की गई है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद इसका ऐएलान किया। उन्‍होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश कर रही है। मलहोत्रा ने कहा कि एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लिए अपने विकास दर के अनुमान को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है, जो हमारे पहले के पूर्वानुमान के अनुसार जारी रहेगी। मल्होत्रा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितता के बीच केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। चालू वित्‍त वर्ष 2025-2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी की वृद्धि दर 6.50 फीसदी, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2026) में 6.4 फीसदी रहेगी। उन्होंने कहा कि यह अनुमान दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था हर तिमाही में मजबूत बनी रहेगी, हालांकि वित्‍त वर्ष के अंत में थोड़ी नरमी देखी जा सकती है।

आरबीआई ने 2025-26 के लिए महंगाई दर का अनुमान घटाकर 3.7 फीसदी किया : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने महंगाई दर के अनुमान को मौजूदा 4.0 फीसदी से घटाकर 3.7 फीसदी कर दिया है। रिजर्व बैंक ने उम्मीद जतायी है कि जिंसों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के साथ मुख्य मुद्रास्फीति नरम बनी रहेगी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मुंबई में तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि सामान्य मानसून के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति यानी खुदरा महंगाई दर अब 3.7 फीसदी पर रहने का अनुमान है। इसके अप्रैल-जून तिमाही में 2.9 फीसदी, जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.4 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 3.9 फीसदी और जनवरी-मार्च तिमाही में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है। मल्‍होत्रा ने कहा कि महंगाई दर का यह अनुमान सभी प्रमुख चीजों में कीमतों के अनुकूल रहने की ओर इशारा करता है। रबी फसल के मौसम में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के उच्च उत्पादन से प्रमुख खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होनी चाहिए। भविष्य में सामान्य से बेहतर मानसून और इसके जल्दी आने की संभावना खरीफ फसल की संभावनाओं के लिए अच्छे संकेत है। मल्होत्रा ने कहा, ‘‘अधिकतर अनुमान कच्चे तेल सहित प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में निरंतर नरमी की ओर इशारा करते हैं।’’ उन्होंने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि अनुकूल पूर्वानुमान के बावजूद वह मौसम संबंधी अनिश्चितताओं और वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ शुल्क संबंधी चिंताओं को लेकर सतर्क रहेगा। दरअसल केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत ब्‍याज दर रेपो रेट को भी 0.50 फीसदी घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया है। उल्‍लेखनीय है कि खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2025 तक लगातार तीन महीने चार फीसदी की सीमा से नीचे रही है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 3.16 फीसदी पर आ गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है। चार फीसदी से कम औसत खुदरा महंगाई दर का यह अनुमान हाल के वर्षों में सबसे कम है। आरबीआई ने अप्रैल में अपनी मौद्रिक नीति घोषणा में वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा मुद्रास्फीति के औसतन चार फीसदी रहने का अनुमान जताया था। सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने का लक्ष्य दिया है।

रेपो रेट में 0.50 फीसदी कटौती आरबीआई का साहसिक एवं स्वागत योग्य कदम : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा रेपो रेट में 0.50 फीसदी तक की कटौती करना और कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) को एक फीसदी घटाना एक साहसिक एवं स्वागत योग्य कदम है। ये भारती अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण समय पर आवश्यक समर्थन देने का संकेत है। चांदनी चौक के भाजपा सांसद एवं संसदीय वाणिज्य स्थायी समिति के सदस्य प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को आरबीआई की नीतिगत ब्‍याज दर में कटौती पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रेपो रेट में की गई यह कटौती केंद्रीय बैंक की गतिशील सोच और क्रेडिट वृद्धि को प्रोत्साहित करने की तत्परता को दर्शाती है। विशेष तौर पर सीआरआर में की गई कटौती से बैंकों की तरलता में तत्काल वृद्धि होगी, जिससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), व्यापारी वर्ग और खुदरा व्यवसायों जैसे क्षेत्रों तक धन की पहुंच आसान हो सकेगी, जो लंबे समय से लागत वृद्धि और सख्त ऋण स्थितियों का सामना कर रहे हैं। खंडेलवाल ने कहा कि अब यह जरूरी है कि वाणिज्यिक बैंक इस राहत को शीघ्र और पूर्ण रूप से उधारकर्ताओं तक पहुंचाएं। मैं वित्त मंत्रालय और आरबीआई से आग्रह करता हूं कि वे इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रभावी तंत्र सुनिश्चित करें, ताकि यह राहत अंतिम व्यक्ति तक वास्तव में पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह कदम उपभोग में वृद्धि, उद्यमशीलता को बढ़ावा और आर्थिक गति की पुनःस्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसका सीधा लाभ दिल्ली के व्यापारिक केंद्रों जैसे चांदनी चौक और देश के अन्य प्रमुख व्यापारिक हब को मिलेगा।

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