आठ वर्षों में यूपी का परसेप्शन पूरी तरह बदला : सीएम योगी

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Eksandeshlive Desk

लखनऊ : प्रदेश सरकार के आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लोकभवन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में अपनी सरकार के विकास कार्यों का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया। इस दौरान आठ वर्षों में यूपी में सरकार के कामकाज पर “एक झलक” रिपोर्ट कार्ड डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई और पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और 25 करोड़ प्रदेशवासियों के समवेत प्रयास से आज यह उत्तर प्रदेश, भारत के ‘श्रम शक्ति पुंज से अर्थ शक्ति पुंज’ बनने की ओर अग्रसर है। उत्तर प्रदेश वही है, लेकिन बीते आठ वर्षों में परसेप्शन पूरी तरह से बदल चुका है। सुरक्षा, सुशासन, समृद्धि और सनातन संस्कृति के क्षेत्र में जो पहचान बनी है, उसका एहसास उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा भारत कर रहा है। उन्होंने कहा कि आठ वर्ष पहले बीमारू राज्य की पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश आज देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बन चुका है।

मुख्यमंत्री ने 25 करोड़ प्रदेशवासियों को आठ वर्ष की इस शानदार यात्रा के लिए बधाई दी और कहा कि डबल इंजन सरकार ने हर क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन किया है। आगामी 25, 26 और 27 मार्च को प्रत्येक जिला मुख्यालय पर तीन दिवसीय ‘विकास उत्सव’ आयोजित होगा, जिसमें अन्नदाता किसानों, युवाओं, मातृशक्ति, हस्तशिल्पियों और उद्यमियों को सम्मानित किया जाएगा। यहां केंद्र सरकार के 10 व प्रदेश के 8 वर्षों की विकास यात्रा को जनता के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। यूपी देश की नंबर दो की अर्थव्यवस्था है और जल्द ही नंबर एक बनेगा। आठ वर्ष पहले उत्तर प्रदेश की पहचान संकट में थी। किसान आत्महत्या कर रहे थे, युवा अपनी पहचान के मोहताज थे, बेटियां और व्यापारी असुरक्षित थे। दंगों और अराजकता ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया था। डबल इंजन सरकार ने इस परसेप्शन को पूरी तरह बदल दिया। आज उत्तर प्रदेश देश के विकास का ब्रेक-थ्रू बनकर हर सेक्टर में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि 2017 में पहली कैबिनेट में ही 36,000 करोड़ रुपये की लागत से लघु और सीमांत किसानों की कर्ज माफी की गई। वर्ष 2017 से अब तक 2.80 लाख करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान किया गया, जो पिछली सरकारों के 22 वर्षों के भुगतान से 60,000 करोड़ रुपये अधिक है। एथेनॉल उत्पादन 42 करोड़ लीटर से बढ़कर 177 करोड़ लीटर तक पहुंच गया।