आवंटन के बावजूद जनसेवकों को नहीं मिला तीन महीना का बकाया वेतन, पैसा किया गया सरेंडर, उत्पन्न हुई भुखमरी की स्थिति

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Ajay Raj

प्रतापपुर(चतरा): आपने कई बार सुना होगा की आवंटन नहीं रहने की वजह से कर्मचारियों का वेतन नहीं निर्गत किया जा सका है, परंतु क्या कभी आपने ऐसा भी देखा है कि पर्याप्त आवंटन के बावजूद भी वरीय पदाधिकारी की हठ धर्मिता कहें या जानबूझ कर की गई लापरवाही कही जाय जिस वजह से वेतन मद का पैसा सरेंडर कर दिया गया और दिसंबर 2024 से वेतन की आस में अपना कार्य ईमानदारी पूर्वक कर रहे जनसेवकों का बिल ट्रेज़री में स -समय पास नहीं किया जा सका।

ताजा मामला चतरा जिला के प्रतापपुर प्रखंड का है जहां प्रखंड में पदस्थापित आठ जनसेवकों का पिछले 3 महीने का बकाया वेतन का भुगतान नहीं हुआ तथा वेतन मद के आवंटित लगभग 16 लाख रुपये सरेंडर हो गए। इससे बड़ी लापरवाही क्या होगी कि एक तरफ जहां खुद प्रखंड विकास पदाधिकारी, नाजीर, बड़ा बाबू, अन्य कर्मचारी यहां तक की चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों आदि का बिल एक ही हेड 2515/102 से पास कर वेतन का भुगतान कर दिया गया तो वहीं आखिर किस मजबूरी में तीन महीने से भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके 8 जनसेवकों का बिल 2515/102 हेड से न बना कर उन्हें एक तरह से प्रताड़ित करने की नियत से छोड़ दिया गया। दो दिन पूर्व जब इस लापरवाही की खबर विभिन्न अखबारों की सुर्खियां बनीं तो आनन फानन में सभी आठ जनसेवकों का अलग से बिल बना कर भेजा गया परंतु प्रखंड विकास पदाधिकारी का साइन नहीं होने से उसे स-समय ट्रेज़री में जमा नहीं किया जा सका। और वही हुआ जिसका डर जनसेवकों को सता रहा था अर्थात् जैसे प्यासे को तड़पा तड़पा कर मारा जाता है वैसी हीं स्थिति में लाकर अंततः जनसेवकों को छोड़ दिया गया।

जब पूरे मामले को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी अभिषेक कुमार पांडेय से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं लगा। वहीं जब जनसेवकों से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने पूरे भारी मन से इतना भर ही कहा कि अगर हम लोग कुछ कहते हैं तो वरीय पदाधिकारी का कोप भाजन का शिकार बनते हैं और कुछ नहीं कहेंगे तो भुखमरी का शिकार बनते हैं। हम अब कुछ भी कहने या सुनने की स्थिति में नहीं हैं। आज लगभग चार माह हो गये हैं। दिसंबर 2024 से बिना तनख्वाह के हम लोग काम कर रहे हैं। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चों की स्कूल फीस, दवाई, दूध, सब्जी, घर का राशन आखिर कहां से लाएं। हमलोग का पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा है। पूरे तीन महीने हम सभी जनसेवक लोग पदाधिकारियों के साथ समन्वय बना कर बैगा बिरहोर आदि के डाटा कलेक्शन से लेकर सारी रिपोर्ट बनने में रात दिन लग कर काम किए और हमलोगों की हौसला अफजाई करने के बजाय जानबूझ कर प्रताड़ित करने के उद्देश्य से पिछले तीन महीने के वेतन के लिए आवंटित राशि लगभग 16 लाख रुपये को सरेंडर करवा दिया गया और हमलोग का पिछले तीन महीने का तनख्वाह नहीं मिला।