आयात शुल्क हटने से गोदामों से बाजार में आई अरहर की दाल, गिरे दाम

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Eksandeshlive Desk

कानपुर : अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने आयात शुल्क पूरी तरह से माफ कर दिया है। इससे खासकर दक्षिण अफ्रीकी देशों से बहुतायत में अरहर की दाल आयात होने की संभावना है। वहीं भारत में अबकी बार अच्छे उत्पादन के आसार हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए थोक कारोबारी अपने-अपने गोदाम खाली करने में जुटे हुए हैं और थोक बाजार में बहुतायत में अरहर की दाल आ चुकी है। बाजार के जानकारों का कहना है कि अरहर दाल के दाम अभी और गिरेंगे। हालांकि आयात शुल्क हटते ही इसका असर बाजार में दिखने लगा और थोक बाजार में एक किलो दाल के दाम सौ रुपए से नीचे भी आ गये हैं। ऐसे में आमजनमानस को भी जल्द इसका लाभ मिलने लगेगा।

अरहर की दाल एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसे लगभग सभी लोग खाना पसंद करते हैं, लेकिन बीते दो वर्षों से खराब पैदावर और बाजार मांग के अनुरुप आयात न होने से धीरे-धीरे अरहर दाल आम आदमी की थाली से दूर होती जा रही थी। आम जनमानस के हितों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अरहर की दाल में आयात शुल्क पूरी तरह से माफ कर दिया। इससे संभावना है कि विदेशों खासकर अफ्रीकी देशों से जल्द भारी मात्रा में अरहर की दाल भारत के बाजारों में दिखेगी। वहीं अबकी बार भारत में भी खासकर बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि में अरहर का उत्पादन भी बेहतर होने के आसार हैं। आयात शुल्क हटते ही थोक बाजार में अरहर की दाल के दामों में गिरावट बीते 28 महीने के स्तर पर पहुंच गई। यानी 90 से 100 रुपये प्रति किलो बिकने लगी। यह दाम इसलिए गिर रहे हैं कि व्यापारी जो गोदामों में भंडारण किये हुए हैं उनको डर है कि कहीं आयात अधिक मात्रा में न हो जाये जिससे उनका माल ही न बिक सके और घाटा भी अधिक लगने की संभावना है।

थोक दाल के कारोबारी रवि गुप्ता ने बताया कि नवंबर 2022 में थोक बाजार में अरहर की दाल करीब 100 रुपये प्रति किलो बिक रही थी। इसके बाद अभी तक 140 से 150 रुपये प्रति किलो दाम था। बजट आने के बाद से इसमें गिरावट बराबर हो रही है और बुधवार का बाजार 90 से 100 रुपया प्रति किलो रहा। जल्द ही फुटकर दुकानदारों में दाम का असर देखने को मिलेगा। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा ने कहा कि सरकार से हम मांग करते हैं कि आयात शुल्क कुछ दिन बाद हटाए ताकि व्यापारियों को नुकसान न हो। चंद्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष मौसम दाल की फसलों के लिए अनुकूल रहा। इससे उत्तर प्रदेश में कानपुर खासकर बुंदेलखंड में अरहर का उत्पादन बेहतर होने की संभावना है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में भी उत्पादन पिछले वर्ष की अपेक्षा ठीक रहेगा। बताया कि अरहर की खेती के लिए तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। अरहर की खेती के लिए सालाना 65 से 100 सेंटीमीटर बारिश होनी चाहिए। अरहर की खेती के लिए मिट्टी में जलभराव नहीं होना चाहिए।

अरहर की दाल में प्रोटीन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। यह आसानी से पचने वाली दाल है। अरहर जिसे तुर भी कहते हैं, देश में चना के बाद दूसरा महत्वपूर्ण दलहनी फसल है जो मुख्यतः महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, उड़ीसा एवं तमिलनाडु में उगाया जाता है। भारत में यह लगभग 36.3 लाख हेक्टेयर में उगाई जाती है और औसतन पैदावार 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। दलहन उगानेवाले किसान हरीराम कटियार ने बताया कि पिछले वर्ष अरहर का दाम बेहतर मिल गया था। छह माह में तैयार होने वाली अरहर थोक भाव में करीब सात हजार रुपये प्रति क्विंटल थी और एक साल में तैयार होने वाली नौ से 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल थी। अबकी बार आयात शुल्क हटने से अच्छा भाव न मिलने की संभावना है।