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Ranchi : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय राँची में छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा जब अबुआ अधिकार मंच समेत अन्य छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय द्वारा जारी अनुचित और अलोकतांत्रिक आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार कक्ष का घेराव किया। इस आदेश में छात्रों द्वारा किए जाने वाले शांतिपूर्ण विरोध, धरना या प्रदर्शन को अनुशासनहीनता मानते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी, जिसे छात्रों ने तुगलकी फरमान करार दिया। छात्रों ने न सिर्फ आदेश की प्रतियां फाड़कर रजिस्ट्रार कक्ष में फेंकीं, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की माँग की। विरोध प्रदर्शन करीब दो घंटे चला, जिसमें छात्रों ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी भी प्रकार के हमले को अस्वीकार्य बताया। यह लोकतंत्र है या राजतंत्र छात्रों की आवाज को दबाना, असहमति को अपराध बताना बेहद निंदनीय है। विश्वविद्यालय कोई राजदरबार नहीं है। विरोध, सवाल और संवाद हर छात्र का मौलिक अधिकार है। हम इस आदेश की कड़ी भर्त्सना करते हैं और इसे वापस लेने की माँग करते हैं। छात्रों को डराना बंद कीजिए कुलपति महोदय, उन्हें सुनना सीखिए। वहीं अन्य छात्र नेताओं ने भी जोर देकर कहा कि छात्रों को धमकाने और डराने वाले वीडियो में जिन असामाजिक तत्वों की भूमिका सामने आई है, उन पर तत्काल सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
शशांक राज ने कहा अभिव्यक्ति की आजादी हमारा मौलिक अधिकार है, जिसे कोई भी प्रशासन आदेश या धमकी से छीन नहीं सकता। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन यह सोचता है कि फरमान जारी कर छात्रों की आवाज दबा देगा, तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है। छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज पर अंकुश लगाने वाला हर आदेश तुगलकी फरमान कहलाएगा और उसका प्रतिकार हर मंच पर किया जाएगा। यदि प्रशासन अपनी मयार्दा भूलकर सत्ता का उपकरण बनने लगेगा, तो छात्र केवल विरोध नहीं, निर्णायक संघर्ष करेंगे। यह लड़ाई किसी एक आदेश के खिलाफ नहीं, बल्कि उस खतरनाक मानसिकता के विरुद्ध है जो विश्वविद्यालयों को लोकतंत्र से तानाशाही में बदलने पर तुली है। यदि ऐसी तानाशाही की पुनरावृत्ति हुई, तो आंदोलन और भी व्यापक, संगठित और उग्र होगा। छात्रों के दबाव और तर्कसंगत विरोध को देखते हुए अंतत: विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी गलती मानी और आश्वासन दिया कि विवादित आदेश को वापस लिया जाएगा। छात्रों ने इसे जनतांत्रिक जीत बताया और प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में भी इस प्रकार का कोई दमनकारी निर्णय लिया गया, तो और भी उग्र आंदोलन किया जाएगा।
