अलग राज्य आंदोलन के बौद्धिक ताकत थे डॉ रामदयाल मुंडा: सुदेश महतो

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Eksandeshlive Desk

रांची : झारखंड अलग राज्य आंदोलन के बौद्धिक ताकत और सांस्कृतिक आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा हमारी समृद्ध संस्कृति को आगे बढ़ाने और आदिवासियों की पहचान बनाए रखने के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। उनका जीवन अपने आप में एक उदाहरण है कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो आप किसी भी क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। रामदयाल मुंडा के योगदानों से नई पीढ़ी को रूबरू होना आवश्यक। समृद्ध झारखंड गढ़ने की राह डॉ. रामदयाल मुंडा के जीवन दर्शन में समाहित है। नई पीढ़ी डॉ. मुंडा को पढ़े और जाने।

उक्त बातें पार्टी अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने बुंडू स्थित पार्टी कार्यालय में डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उनके चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद कही।

रांची के छोटे से गांव से निकल कर उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण, त्याग और काबिलियत के दम पर न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई बल्कि झारखंड की कला संस्कृति को भी वैश्विक पटल पर पहुँचाने का काम किया। उन्हें याद करने के लिए किसी खास तारीख की जरूरत नहीं। वे हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। उनकी विद्वता और विनम्रता से युवाओं को सीखने की आवश्यकता।

झारखंड की समृद्ध संस्कृति को संजोने और संवारने के साथ ही हमें विकास की राह पर चलना है। अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति से दूर होकर हम विकास की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। हम अपनी जड़ों से कट कर आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

इस अवसर पर जिप सदस्य बुंडू परमेश्वरी सांडिल, केंद्रीय सचिव गुंजल इकिर मुंडा, केंद्रीय सचिव रामदुर्लभ सिंह मुंडा, आजसू पार्टी वरीय नेता सिंगराय टूटी, केंद्रीय सचिव सुधा मुंडू, राँची जिला वरीय उपाध्यक्ष राजकिशोर कुशवाहा इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित थे।