Eksandeshlive Desk
आगग्वालपाड़ा (असम)/नई दिल्ली : असम सरकार के गत 12 जुलाई से राज्य में शुरू किए गए बेदखली अभियान (अवैध कब्जेदारों) को हटाने के क्रम में गुरुवार को ग्वालपाड़ा ज़िले के पैकन आरक्षित वन क्षेत्र के बेतबारी विद्यापाड़ा क्षेत्र में हुई हिंसक स्थिति के दौरान पुलिस की हवाई फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी, जबकि कई पुलिस कर्मी और पांच अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस के अनुसार बेदखली अभियान की कार्रवाई में बाधा डालने के दौरान भीड़ हिंसक हो गयी, जिससे पुलिस को बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करनेके लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी। इसमें 5 लोग हो गए जबकि के उपद्रवियों के हमले में 14 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। सामान्य तौर पर अन्य कई व्यक्ति घायल हुए हैं। पुलिस ने इस मामले में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।
किसी को बख्शा नहीं जाएगा, कानून अपना काम करेगा : इससे इलाके में अभी भी तनाव बना हुआ है, क्योंकि बेदखल किए गए निवासियों के एक वर्ग ने राज्य सरकार के आदेशों की अवहेलना की है और क्षेत्र खाली करने से इनकार कर दिया है, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति विस्फोटक हो गई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आज सुबह, जब प्रदर्शनकारियों ने खुदाई करने वाली मशीनों (जेसीबी) जाने वाली प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, तो संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया, जिससे मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ गतिरोध पैदा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि लाठी, डंडों और अन्य नुकीली वस्तुओं से लैस प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सुरक्षा बलों पर पथराव और मारपीट करने के साथ हिंसक हमला किया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने स्थिति को बेकाबू होते देख भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी। इस घटना में पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों के घायल होने के साथ ही मौके पर मौजूद एक पत्रकार भी कथित तौर पर पत्थर लगने से घायल हो गया। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारे पुलिस बल पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। कानून अपना काम करेगा।” उन्होंने कहा कि एक अलग लेकिन संबंधित घटना में, स्थानीय लोगों द्वारा बेदखली क्षेत्र स्थित एक बंद पड़े सरकारी स्कूल, विद्यापारा एमई स्कूल में आग लगाने का कथित प्रयास किया। यह तो गनीमत रही कि फायर ब्रिगेड के समय पर हस्तक्षेप के बाद आग पर तुरंत काबू पा लिया गया। घटना के बाद, पुलिस ने आगजनी के प्रयास में शामिल होने के संदेह में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रशासन ने आगे की स्थिति को रोकने के लिए क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा उपाय तेज़ कर दिए हैं।
असम में बुलडोजर से मानवता की हत्या की जा रही है : असम के धुबरी और ग्वालपारा जिलों में हजारों गरीब मुसलमानों के घरों पर बुलडोज़र चला कर उन्हें जबरन बेदखल कर दिया गया है। अब प्रभावित लोग जिन तंबुओं में शरण लिए हुए हैं, उन्हें भी तोड़ा जा रहा है। उन लोगों तक खाने-पीने की चीजों और अन्य आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है और लोगों पर गोलियां बरसाई जा रही हैं। यह परिस्थितियां न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन हैं बल्कि मानवता के खिलाफ खुली बर्बरता भी दर्शाते हैं। यह सब राज्य के मुख्यमंत्री के आदेश पर हो रहा है, जो भारत के इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना है, जिसका उदाहरण अत्याचारी अंग्रेज़ी शासन के दौर में भी नहीं मिलता। उक्त बातें जमीअत उलमा असम की तरफ से जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी को भेजी गई रिपोर्ट में व्यक्त की गई हैं। ज्ञात हो कि जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने 15 और 16 जुलाई को इन प्रभावित इलाकों का दौरा किया और एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट तैयार की है। मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि असम में जो कुछ हो रहा है, अगर हम उसे खुद पर लागू करें, तो जीवन असहनीय लगता है। ऐसा लगता है कि असम सरकार इन लोगों को इंसान मानती ही नहीं है।
प्रताड़ना और अत्याचार की हद पार : रिपोर्ट के अनुसार, राज्य प्रशासन ने प्रताड़ना और अत्याचार की हद पार कर दी है। गत रात 17 जुलाई को गवालपारा के पाइकान वन क्षेत्र में स्थित आशोडोबी गांव में पुलिस फायरिंग में एक 17 वर्षीय शरणार्थी युवक शहीद हो गया और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब 12 जुलाई को जबरन बेदखल किए गए हजारों लोगों ने सड़क खोलने और खाने-पानी की आपूर्ति की शांतिपूर्वक मांग की। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र की अत्याचारपूर्वक घेराबंदी कर दी है। सहायता संगठनों को प्रवेश की अनुमति नहीं है, हैंडपंप उखाड़ दिए गए हैं, शौचालय की सुविधा न के बराबर है और महिलाएं और बच्चे पीने के पानी के लिए परेशान हैं। हालांकि जमीअत उलमा-ए-असम द्वारा कुछ स्थानों पर भोजन और तिरपाल वितरित किए गए हैं, लेकिन सरकारी घेराबंदी के कारण उन तक पहुंचना मुश्किल है। जमीअत प्रतिनिधिमंडल ने धुबरी ज़िले के चराकतरा, संतोषपुर, चरवा बकरा का भी दौरा किया, जहां 20,000 से अधिक मुसलमानों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है। यहां 5,700 मतदाता और 3,500 परिवार प्रभावित हुए हैं। उन्हें ब्रह्मपुत्र के बीचों-बीच स्थित एक ऐसे स्थान पर स्थानांतरित होने के लिए कहा जा रहा है, जहां कोई आबादी नहीं है और जमीन रेतीली है। वहां न पानी है, न आश्रय की व्यवस्था, न ही जीवन का कोई नामो-निशान। यह सब गौतम अडानी के सोलर प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहा है। दूसरी ओर मीडिया का एक वर्ग इन भारतीय नागरिकों को बार-बार ‘विदेशी बांग्लादेशी’ कहकर जनता की सहानुभूति खत्म करने की कोशिश कर रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग : इन परिस्थितियों में, जमीअत उलमा-ए-हिंद सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करती है कि सभी बेदखल लोगों को तुरंत भोजन, पानी, चिकित्सा सहायता और आश्रय प्रदान किया जा सके। रास्ते खोले जाएं ताकि सहायता संगठन प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच सकें, पुलिस फायरिंग में संलिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, पीड़ितों को तत्काल मुआवजा दिया जाए और वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराई जाए। बांग्लादेशी के दुष्प्रचार को रोका जाए और अल्पसंख्यकों पर जारी अत्याचार और प्रताड़ना का सिलसिला रोका जाए। जमीअत उलमा-ए-हिंद ने घोषणा की है कि वह कानूनी, मानवीय और सार्वजनिक स्तर पर इन उत्पीड़ित लोगों को हर संभव सहयोग प्रदान करेगी और देश की अंतरात्मा को झकझोरने के लिए हर मंच पर अपनी आवाज उठाएगी। जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल में जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव के अलावा असम राज्य जमीअत उलमा के महासचिव हाफिज बशीर अहमद कासमी, अतिरिक्त महासचिव मौलाना अब्दुल कादिर कासमी, मौलाना महबूब हसन और मौलाना फजलुल करीम कासमी, ग्वालपारा जिला जमीअत के पदाधिकारियों में मुफ्ती सादुद्दीन कासमी, मौलाना इज्जत अली, जनाब अब्दुल हई, जनाब अबुल कलाम, मौलाना अबुल हाशिम, मौलाना अबू तालिब, बलासीपारा जिला जमीअत के अध्यक्ष मुफ्ती याह्या, चापर जिला जमीअत के अध्यक्ष हाफिज लुकमान, कोकराझार जिला जमीअत के अध्यक्ष मुफ्ती साजिद, धुबरी जिला जमीअत के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मजीद इत्यादि भी उपस्थित थे।