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चार साल में एक नेता प्रतिपक्ष नहीं दे पायी भाजपा
रांची : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्यपाल को पत्र लिखकर हेमंत सोरेन की सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग पर झामुमो ने पलटवार किया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी 2024 और आगामी दिनों होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में निश्चित हार को देख कर बौखला गए हैं। कारण केवल यही नहीं है। उनकी संकल्प यात्रा पूरी तरह विफल रही है। न उनके भाजपा नेता पूरी तरह अकेले पड़ चुके हैं। ऊपर से देश की सारी केंद्रीय एजेंसियां हेमंत सरकार को अस्थिर करने, विकास को प्रभावित करने का प्रयास करने के बाद भी यह सरकार निरंतर काम कर रही है। यह सब देख कर वे अपना आपा खो चुके हैं। बाबूलाल मरांडी अपने पत्र में सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हैं। वो सूत्र कौन है, क्या-क्या जानकारी उनको दिए हैं। किस आधार पर पत्र लिखे हैं, यह अपने आप में सवाल खड़ा करता है। ें। यह बात उन्होंने बुधवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। बाबूलाल को उनके सूत्र ने कई बातों की जानकारी नहीं दी। भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को यह नहीं भूलना चाहिए । अपने सूत्रों से जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए कि इसी तरह से कर्नाटक के एसआर बोम्मई सरकार को अपदस्थ कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जो सरकार पूर्ण बहुमत में है, उसे अपदस्थ नहीं किया जा सकता है। बाबूलाल को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आपके पत्र लिखने के एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देश के गृह मंत्री के साथ नक्सल और विधि व्यवस्था की बैठक में शामिल हुए जिसमें सरकार ने नक्सलवाद पर अपनी रिपोर्ट पेश की। आपके रघुवर सरकार जैसा यह सब काम नहीं हुआ है कि बकोरिया कांड कराकर नक्सलवाद खात्मे का दावा करते रहे। आज बूढ़ा पहाड़ जहां आजादी के बाद से लेकर आज तक कोई नहीं गया, वहां हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री गए। वहां लोग खुली हवा में सांस ले रहे हैं, विचरण कर रहे हैं। विकास की योजनाएं पहुृंच रही हैं, बाबूलाल मरांडी के सूत्रों ने यूपीए और मध्य प्रदेश का हवाला नहीं दिया। यूपी में हर 48 घंटे में 48 हत्याएं, 30 रेप की घटनाएं हो रही हैं। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक आदिवासी, दलितों पर अत्याचार होते हैं।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ऐसी चर्चा है कि एनसीपी के विधायक एनडीए में शामिल हो गए हैं। चार साल बाद एनसीपी विधायक कमलेश सिंह को याद आया कि उनके अनुमंडल को जिला बनाया जाए। चेतावनी भी दी है कि अगर जिला नहीं बनाया गया, तो समर्थन वापस ले लेंगे। इसके बाद बाबूलाल मरांडी को शायद लगा कि हेमंत सरकार अल्पमत में आ गयी है. एक कहावत है. बाढ़ के पानी में हाथी-घोड़ा सब डूब गए. तब भेड़ा कहता है कि कितना पानी. यही हाल बाबूलाल जी का हो गया है. बाबूलाल जी का अपना मूल संस्कार आ गया है. केवल 14 साल वनवास पर थे। वनवास से लौटते ही अपनी मूल पार्टी और संगठन के संस्कार फिर से आ गए हैं। कार्रवाई तो भाजपा पर होनी चाहिए। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अगर संवैधानिक संस्थाओं को डैमेज करने को लेकर कोई कार्रवाई होनी चाहिए, तो वह भाजपा पर क्योंकि चार साल में भाजपा नेता प्रतिपक्ष नहीं दे पाई। इसके कारण सरकार कई महत्वपूर्ण फैसला नहीं ले पा रही है। विधानसभा में नेता प्रतपिक्ष का कक्ष और कुर्सी खाली है। नेता प्रतिपक्ष कई अहम फैसले और निर्णयों पर अपनी सहमति देता किंतु इसके कारण कई जरूरी काम ठप से पड़े हैं।