बडकागांव विधानसभा: बरकरार रहेगा इतिहास या बनेगा एक नया इतिहास

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Ranjan

बड़कागांव: बडकागांव में 13 नवम्बर को मतदान है, इस बार मुकाबला दिलचस्प है बडकागांव विधानसभा के इतिहास में जो भी जीता 15 वर्षों तक राज किया, लेकिन जब हारा तो वापसी का रास्ता बंद हो गया , बड़कागांव विधानसभा की जनता बड़ी उदार है , प्रत्याशियों को विकास करने का भरपूर मौका देती है परंतु जब यहां की जनता कुर्सी से उतारती है तो नेता का राजनीतिक कैरियर ही समाप्त हो जाता है, फिर कुर्सी पर बैठने का मौका नहीं मिलता है l बडकागांव के 45 वर्षो का इतिहास यही बताता है l आपको बता दें, की पहली बार कामनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI ) से रमेन्द्र कुमार ने , जनता पार्टी के विधायक कैलाशपति सिंह को हराकर बडकागांव से विधायक बने और लगातार तीन बार जनता इन्हें विधायक कि कुर्सी पर काबिज रखी l फिर 1995 में बड़कागांव से भाजपा के सीट पर लोकनाथ महतो ने रमेन्द्र कुमार को शिकस्त दी l और जनता इन्हें भी तीन बार 1995, 2000 और 2005 में सेवा करने का मौका दिया l फिर 2009 में कांग्रेस के योगेंद्र साव ने उत्क्रिस्ट विधायक की उपाधि प्राप्त लोकनाथ महतो को हराया और विधयाक बने l और फिर 2014 में उनकी पत्नी निर्मला देवी, 2019 में उनकी बेटी अम्बा प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी के जीत की हैट्रिक का सिलसिला बरकरार रखा l
यहां यह बताना जरूरी है कि जहां 2014 में पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी और झारखंड में भी बीजेपी की सरकार बन गई , परंतु बड़कागांव में कांग्रेस ने अपना कब्जा बनाए रखा l हालांकि आपको बता दें कि निर्मला देवी और अंबा प्रसाद के जीत का सबसे बड़ा फैक्टर थे पूर्व मंत्री योगेंद्र साव का एनटीपीसी के जमीन अधिकरण नीति के विरुद्ध जबरजस्त आंदोलन करना और तत्कालीन सरकार के द्वारा आंदोलन पर दमनकारी नीति अपनाना और योगेंद्र साव को जेल भेजना एवं राज्य बदर करना l योगेन्द्र साव के आन्दोलन के बदौलत हीं निर्मला देवी और अंबा प्रसाद ने जीत का स्वाद चखा l

इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए क्या है समीकरण :

इस बार अंबा प्रसाद को ना तो पुलिस की लाठी पड़ी, ना जेल जाना पड़ा और न हीं कोई बड़ा आंदोलन करके जनता को कोई विशेष लाभ दिलवा पाई , बल्कि इसके इतर , विधायक अंबा प्रसाद पर यह आरोप लगता रहा की कंपनी से मिलकर रॉयल्टी के माध्यम से पैसा कमाती रही और जनता को बेवकूफ बनाती रही l यही कारण है की इस बार आंदोलन के नाम पर अंबा प्रसाद को कोई सेम्पेथी वोट नहीं मिलने वाला है l परंतु बड़कागाँव विधानसभा सीट पर बीजेपी ने जो अपना उम्मीदवार उतारा है यही अम्बा प्रसाद के फेवर में जाता हुआ दिखाई देता है l ऐसा इसीलिए कि ‘रोशन लाल चौधरी’ , टिकट मिलने के एक दिन पहले तक आजसु में थे और अब बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं ,उनके पार्टी के अंदर ही अंतर विरोध देखने को मिल रहा है l ‘अमन कुमार सिंह’ हिंदू प्रचारक जो बीजेपी के लिए काम करते थे आज वह खुलकर रौशन लाल चौधरी का विरोध कर रहे हैं और निर्दलीय चुनाव भी लड़ रहे हैं l रोशन लाल चौधरी पर बाहरी नेता होने का ठप्पा भी लगाया जाता है l गर्री के प्रदीप कुमार जो राजनीति से कोई लगाव नहीं रखते वो कहते हैं , कि हमें जितना मदद अंबा प्रसाद या बालेश्वर कुमार से मिल सकता है, रोशन लाल चौधरी से नहीं मिल पाएगा l वही चेपाखुर्द के किसान जागेश्वर साव कहते हैं रोशन लाल चौधरी बड़कागांव में कभी जल ,जंगल, जमीन ,विस्थापन रोजगार और मुआवजे की लड़ाई नहीं लडे, जो यहाँ का मुख्य मुद्दा है l इसलिए उनकी राह कठिन है l वही योगी आदित्यनाथ के द्वारा रोशन लाल के समर्थन में बड़कागांव में हुए जनसभा में हिंदुत्व को लेकर जो तीखे भाषण दिए गए उससे मुस्लिम मतदाता एकजुट हो चुके हैं और अब अंबा प्रसाद के पक्ष में कई नाराजगी होने के बावजूद भी वोट करने की बात कह रहे हैं , और GMM से गटबंधन होने से आदिवासी वोट भी इनके पाले में जाने की पूरी संभावना है l इन्ही समीकरणों के कारण अम्बा प्रसाद के जितने की संभावना बन रही है l वहीँ रौशन लाल चौधरी के लिए 2 प्लस पॉइंट है , पहला यह कि उन्हें भाजपा से टिकट मिल गया है, जो अपने आप में एक बड़ा वोट बैंक है और दूसरा जेएलकेएम से बालेश्वर कुमार को टिकट मिलने के बाद बड़ी संख्या में कुर्मी मतदाता नाराज है जिसका सीधा लाभ रौशन लाल चौधरी को मिलने की संभावना है l कुल मिलाजुलाकर टक्कर कांटे का है , जो कांग्रेस और बीजेपी के बीच है l हालांकि कई जानकार बताते हैं मुकाबला त्रिकोणीयें है ‘कांग्रेस, बीजेपी और जेएलकेएम’ के बीच l अब 23 नंबर को ही पता चल पाएगा कि बड़कागाँव विधानसभा अपने 45 वर्षों के इतिहास को दोहराते हुए कांग्रेस को बाहर करेगी या चौथी बार कांग्रेस जीत कर एक नया इतिहास बनाएगी l

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