बे मौसम बारिश ने, ईंट भट्ठा मालिकों की कमर तोड़ी, लाखो का हुआ नुकसान

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1000 हजार से 2000 प्रति हजार ईंट के मुल्य में हो सकती है वृद्धि

बड़कागांव : पिछले कई दिनों से बे मौसम वर्षा ने किसानो और खासकर ईंट भट्ठा मालिकों के लिए मुसीबत बना हुआ है। बड़कागांव प्रखंड सहित हजारीबाग जिले में लगभग 125 से 150 फिक्स चिमनी ईंट भट्ठा है। वही सैकड़ो छोटे-छोटे बांग्ला ईंट भट्ठे हैं। लगतार चार पांच बार की बे मौसम बारिश से लगभग प्रति ईंट भट्ठा मालिकों का 4 से 5 लाख का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले 1 महीनो में हर सप्ताह बे मौसम बारिश से ईंट भट्टा मालिको की कमर तोड़ दि है। भारी बारिश से जहां एक तरफ उमस भरी गर्मी से लोगों को राहत मिली है। दूसरी ओर ईंट भट्ठा मालिकों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। ईंट भट्ठा पर कच्ची ईंट का निर्माण बारिश के पहले खत्म हो जाता है।बारिश के पहले ईंट भट्ठा मालिक कच्ची ईंटों की पथाई कर कई महीनो के स्टॉक कर लेते हैं।और बारिश के पहले उन ईंटो को भीगने से बचने के इंतजाम कर लेते हैं।लेकिन बे मौसम बारिश ने ईंट उद्योग के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ है।मामले को लेकर एक ईंट भट्ठा के मालिक ने अपनी ब्यथा बताया कि अब पथाई बंद होने वाली थी।कच्ची ईटों को बारिश से बचाने का अभी तक कोई इंतजाम नहीं हो पाया था। और हजारों हजार ईंट वर्षा के पानी से गल कर बर्बाद हो गई।बड़कागांव प्रखंड के अधिकतर ईंट भट्ठों पर लगभग 4 से 5 लाख कच्ची ईंट बारिश में गल गई और जो ईंट भराई या खेवाल में लग गई थी।सब बर्बाद हो गया। मानो हम ईंट भट्ठा मालिकों की किस्मत ही फूट गई हो।कुछ वर्ष पूर्व लॉकडाउन ने पहले ही कमर तोड़ दी थी। हम ईंट व्यवसाय काफी कर्ज में डूब गए थे। उस कर्ज से बाहर निकल भी नहीं पाए थे कि अब अधिकतर भट्ठों पर लगभग 4 से 5 लाख कच्ची ईंट बारिश में गल गई। ईंट बनाने एवं भट्ठा लगाकर उसे जलाने का काम जारी था।विगत कुछ दिनों से लगातार बदली छाई हुई है एवं बारिश का माहौल बना हुआ है।और बारिश होने से इससे ईंट बनाने वालों की नींद उड़ी हुई है।लगातार बदली एवं समय-समय पर हो रही बारिश के कारण ईंट जहां नहीं सुख पा रही है। वहीं लगे हुए ईंट से केवल धुआं उठ रहा है।इससे भट्ठा के ऊपर जहां तक आग नहीं पहुंची है वह ईंट भी गलने लगी हैं।ईंधन का भी काफी नुकसान हो रहा है।ईंट पथाई करने वाले मजदूरी पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा ।अब ईंट की कीमत लगभग प्रति हजार 1000 से ₹2000 अधिक कीमत बढ़ाई जा सकती है।वहीं ईंट के छोटे छोटे-छोटे व्यवसाय या ग्रामीण अपने मकान बनाने को लेकर भी जो बांग्ला ईंट का निर्माण करते हैं। वो भी रो रहे हैं। कई व्यवसाय व ग्रामीण कर्ज लेकर भी ईंट बनाने का कार्य करते हैं।और अब उनकी चिंता सता रही है कि हम मजदूर को मजदूरी देंगे या फिर कर्ज लिए गए पैसे की ब्याज सहित अदायगी करेंगे।