Sunil
रांची : बीआईटी मेसरा के डिपार्टमेन्ट ऑफ बायोइंजीनियरिंग एण्ड बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने स्मार्ट पेप्टाईड तैयार किए हैं, जो शरीर में पीएच में होने वाले बदलाव को पहचान कर इसके लिए प्रतिक्रिया करते हैं। ये पेप्टाईड विभाग में स्थित अडवान्स्ड बायो-कम्प्युटिंग लैब में बनाए गए हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह नई खोज घाव के इलाज, टिश्यू इंजीनियरिंग एवं टारगेटेड ड्रग डिलीवरी में कारगर होगी।अंतराष्ट्रीय स्तर पर जानी-मानी पत्रिका ह्यएसीएस अप्लाईड बायो मटीरियल्सह्ण में प्रकाशित यह अध्ययन कोलाजन से बनाए गए प्राकृतिक पेप्टाईड सिक्वेन्स डीजीईए को दर्शाता है। इस सीक्वेन्स को अडवान्स्ड मॉलीक्युलर डायनामिक्स सिमुलेशन्स के साथ रीडिज़ाइन कर टीम ने सेल्फ-असेम्बलिंग पेप्टाइड बनाए हैं, जो एसिडिक एवं बेसिक मीडियम में अलग तरह से व्यवहार करते हैं। यह व्यवहार कुछ ऐसा होता है, जैसे शरीर के टिश्यूज़ चोट लगने पर या बीमारी की स्थिति में करते हैं। यह डीजीईए आधारित पेप्टाईड सिस्टम में पीएच के अनुसार व्यवहार को दर्शाने वाली पहली रिपोर्ट है। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में अडैप्टिव बायोमटीरियल के विकास के नए मार्ग प्रशस्त होंगे। लीड रीसर्चर डॉ आलोक जैन ने कहा।इस प्रोजेक्ट में बीआईटी मेसरा के छात्रों, शोधकर्ताओं एवं लेखकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत सरकार के साइंस एण्ड इंजीनियरिंग रीसर्च बोर्ड ने इसके लिए फंडिंग प्रदान की थी।ये इंटेलीजेन्ट पेप्टाइड मटीरियल- इंजेक्टेबल जैल, स्मार्ट वुंड ड्रेसिंग या बायोएक्टिव इम्पलांट में विकसित किए जा सकते हैं। ऐसे में उन स्थानों पर भी इनका विकास संभव है जहां हेल्थकेयर के संसाधन सीमित हों।यह इनोवेशन आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी रीसर्च में बीआईटी मेसरा के प्रभाव को और मजबूत बनाएगा। इस पहल के साथ कम्प्युटेशनल बायोलोजी एवं पेप्टाईड इंजीनियरिंग-मेडिकल चुनौतियों को हल करने के लिए तैयार हैं।