बीएयू में दो दिवसीय खरीफ अनुसंधान परिषद बैठक का समापन

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अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक ने झारखंड में कृषि विकास संबंधी अपने विजन साझा किये

रांची:
अर्द्ध शुष्क उष्णकटिबंधीय फसलों संबंधी अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने झारखंड में कृषि विकास के लिए बेहतर फसल नियोजन, जल संसाधन प्रबंधन, धान की कटाई के बाद खाली पड़े खेत के बेहतर इस्तेमाल तथा सोलर ऊर्जा और लघु सिंचाई के क्षेत्र में अधिक निवेश पर जोर दिया है। रविवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के खरीफ अनुसंधान परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एकल खेती और कृषि यंत्रीकरण की कमी झारखंड में कृषि विकास की प्रमुख बाधायें हैं। फसलों में जलवायु लचीलापन बढ़ाना, फसल गहनता बढ़ाना, बीज पद्धति का शुदृढ़ीकरण, मूल्य संवर्धन, क्षमता निर्माण, कटाई उपरांत प्रसंस्करण तथा वन से जुड़ी कृषि का विविधीकरण जैसे विषय शोध की प्राथमिकता होनी चाहिए।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ जीके गौड़ ने कहा कि देश के ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए पशु आनुवंशिक संसाधनों का गुण निर्धारण और संरक्षण समय की मांग है। इसके लिए जिनोमिक सिलेक्शन और क्लोनिंग जैसे आधुनिक आनुवाशिक टूल्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पशु अनुसंधान के क्षेत्र में डीएनए चिप का इस्तेमाल पर जोर देते उन्होंने कहा कि शोध प्रयास किसान-केंद्रित और व्यवहार योग्य होना चाहिए जिसे किसानों के खेत तक सुगमता से प्रसारित किया जा सके।
केंद्रीय तसर अनुसंधान संस्थान, रांची के निदेशक डॉ एनबी चौधरी ने कृषि लागत घटाने तथा पोषक तत्व एवं जल के प्रयोग की प्रभावशीलता बढ़ाने पर जोर दिया। बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने पशुओं के नस्ल गुण निर्धारण और आनुवंशिक सुधार से संबंधित छोटे शोध प्रस्ताव भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग को समर्पित करने का सुझाव वैज्ञानिकों को दिया। कुलपति ने कृषि वानिकी अनुसंधान के क्षेत्र में भी विशेष प्रयास पर बोल दिया।

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