Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : भारतीय रेल की माल ढुलाई क्षमता लगातार भारत की आर्थिक प्रगति को सुदृढ़ कर रही है। चालू वित्त वर्ष में रेल की संचयी माल लोडिंग 1-बिलियन-टन के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार करते हुए 19 नवंबर तक 1020 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि कई प्रमुख क्षेत्रों के व्यापक सहयोग को दर्शाती है। इनमें कोयला– 505 एमटी (सबसे बड़ा योगदान), लौह अयस्क – 115 एमटी, सीमेंट – 92 एमटी, कंटेनर – 59 एमटी, पिग आयरन एवं तैयार स्टील – 47 एमटी, उर्वरक – 42 एमटी, खनिज तेल – 32 एमटी, खाद्यान्न – 30 एमटी, स्टील संयंत्रों के कच्चे माल – लगभग 20 एमटी, अन्य वस्तुएं – 74 एमटी प्रतिदिन की लोडिंग औसतन 4.4 एमटी बनी हुई है, जो पिछले वर्ष के 4.2 एमटी से अधिक है। यह बेहतर परिचालन दक्षता और स्थिर मांग को दर्शाता है।
अप्रैल–अक्टूबर की अवधि में मजबूत प्रदर्शन : अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच माल ढुलाई 935.1 एमटी रही, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 906.9 एमटी थी। यह वर्ष-दर-वर्ष स्वस्थ वृद्धि का संकेत है। लगातार बढ़ती गति और बेहतर दैनिक लोडिंग दरें इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय रेल देश के औद्योगिक विस्तार एवं अवसंरचना विकास का प्रभावी समर्थन कर रही है। देश में अवसंरचना वृद्धि में सीमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, रेल मंत्रालय ने इस क्षेत्र की लॉजिस्टिक क्षमता को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कंटेनरों में बल्क सीमेंट परिवहन के लिए दरों का तार्किक पुनर्निर्धारण किया गया है। इन सुधारों से बल्क हैंडलिंग क्षमता बढ़ेगी, पारगमन समय कम होगा, लॉजिस्टिक लागत घटेगी। इससे उद्योगों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता में भी वृद्धि होगी। ऐसे लक्षित सुधार संबंधित क्षेत्रों में परिवर्तन को गति प्रदान करते हैं। रेल मार्ग से थोक माल परिवहन—बहुआयामी लाभों में कार्बन उत्सर्जन में कमी, राजमार्गों पर भीड़भाड़ घटती है, उद्योगों एवं MSMEs को हरित और किफायती लॉजिस्टिक विकल्प मिलते हैं। ये प्रयास देश की नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन की प्रतिबद्धता को मजबूती देते हैं और भारतीय रेल को आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रगति दोनों की प्रमुख सक्षमकर्ता के रूप में स्थापित करते हैं।
