बिहार में वीआईपी ने की 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा

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Eksandeshlive Desk

पटना : बिहार में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने आगामी विधानसभा चुनावों में 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से की गई इस घोषणा ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में नई अटकलों और रणनीतिक हलचल को हवा दे दी है। मुकेश सहनी के पोस्ट में कहा गया है, “वीआईपी 2025 में 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, हमारे सहयोगी दलों के उम्मीदवार बाकी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।” मुकेश सहनी का पोस्ट यह संकेत दे रहा है कि वीआईपी की महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं और एक व्यापक गठबंधन की संभावित योजनाएं बन रही हैं। दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में वीआईपी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बैनर तले चुनाव लड़ा और चार सीटें हासिल करने में सफल रही, लेकिन इसके तुरंत बाद रिश्ते खराब हो गए और सहनी भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन से अलग हो गए। हाल के वर्षों में उनकी पार्टी का आधार, खासकर मल्लाह (मछुआरे) समुदाय के बीच बढ़ा है और इस नए चुनावी दावे को उस आधार को एक बड़ी राजनीतिक ताकत में बदलने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

महागठबंधन अपने चुनाव-पूर्व गणित को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में : मुकेश सहनी ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जब महागठबंधन अपने चुनाव-पूर्व गणित को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।वीआईपी महागठबंधन के साथ जुड़ती है, तो यह मांग राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों जैसे सहयोगियों को अपने सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है। इससे गठबंधन के भीतर तनाव भी पैदा हो सकता है। इससे पहले घटक दल की प्रमुख सहयोगी सीपीआई ने बीते सप्ताह 20 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ने की अपनी मंशा स्पष्ट की थी। इसके लिए उन्होंने तेजस्वी यादव को एक लिस्ट भी सौंपी थी। उधर, झारखंड में सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बिहार में कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है। पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) ने फरवरी में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। पिछले दिनों पार्टी ने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर कर दिया। ऐसे में ये पार्टी भी अपने लिए करीब 2 दर्जन सीटों की मांग कर सकती है। तीनों वाम दल भी अपने लिए अधिक सीटों की चाह रख रहे हैं। 2020 के चुनाव में इन तीनों दलों ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार ये दल 40 से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। वाम दलों में से एक सीपीआई-एमएल ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनका जनाधार ग्रामीण क्षेत्रों में माना जाता है।

2020 में कैसा रहा महागठबंधन का प्रदर्शन : महागठबंधन के दोनों प्रमुख घटक दलों राजद और कांग्रेस को भी इस चुनाव में अपने लिए बड़ी संभावना नजर आ रही है। राष्ट्रीय जनता दल इस बार भी 140 से 145 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है। पिछले चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे 75 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राजद बिहार में नंबर वन सिंगल पार्टी बनकर उभरी थी। राजद की तरह ही कांग्रेस भी 2020 वाली सीट ही चाह रही है। वह पिछले लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को आधार बना रही है। कांग्रेस जहां 70 के करीब सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, वहीं राजद उसे 50-55 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है। वह उसे समझाने की कवायद में लगी है कि अन्य सहयोगी दलों को भी सीटें देनी है, ऐसे में उसके खाते में कम सीटें ही आ पाएंगी। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो महागठबंधन में शामिल 5 दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें राष्ट्रीय जनता दल के 144 में से 75 पर जीत मिली। कांग्रेस को 70 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसी तरह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई, एमएल) ने 19 में से 12, सीपीआई ने 6 में से 2 और सीपीआई (एम) ने 4 में से 2 सीटों पर जीत हासिल की थी। तीनों वाम दलों ने कुल मिलाकर 29 सीटों में से 16 सीटें अपने नाम की थी। वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय ने बातचीत में कहा कि मुकेश सहनी ने बीते कुछ वर्षों में अपने समाज में अपनी छवी मजबूत की है। हालांकि, उनके समाज का मत प्रतिशत देखते हुए उनकी 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात हस्यास्पद है। तेजस्वी यादव इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। तेजस्वी यादव अपने पुराने भरोसेमंद कांग्रेस-वामदल को नाराज नहीं करेंगे। मुझे लगता है कि आईएनडीआईए गठबंधन में 20 सीटें से ज्यादा वीआईपी को चुनाव लड़ने के लिए मिल सकती है।