बिरसा जैविक उद्यान में गुंजेगी नए शेर(अभय) व शेरनी(शबरी) की दहाड़

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Mustafa Ansari

रांची : ओरमांझी प्रखंड के ग्राम चकला स्थित प्रदेश के प्रसिद्ध चिड़या घर भगवान बिरसा जैविक उद्यान में शेर व शेरनी और मगरमच्छ के नए जोड़े लाए गए हैं। जो कि उद्यान में आने वाले पर्यटकों को लंबे अंतराल के बाद शेरों की दहाड़ और मगरमच्छों की ठंडी निगाहें एक बार फिर बेहद रोमांचित करेगी। जानकारी देते हुए मुख्य वन संरक्षक सह बिरसा जैविक उद्यान के निदेशक जब्बर सिंह ने बताया कि उद्यान में शेरों की कमी खल रही थी। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीने में भगवान बिरसा जैविक उद्यान में मौजूद शेरों में से दो ‘जया’ और ‘बिरु’तथा एक हाइब्रिड शेरनी ‘प्रियंका’ की मृत्यु उम्र संबंधी कारणों से हो गई थी। उद्यान में अब तक सिर्फ एक हाइब्रिड शेर ‘शंशाक’ ही जीवित था। शेरों की कमी से न केवल सैलानी निराश थे बल्कि चिड़ियाघर की जैव विविधता भी अधूरी महसूस होती थी। ऐसे में नए एशियाई शेरों के आगमन से यह कमी पूरी हो गई है,और चिड़ियाघर फिर से अपने गौरव को प्राप्त कर रहा है। बताया कि 104 हेक्टेयर में फैले भगवान बिरसा जैविक उद्यान में पहले से ही 91 प्रजातियों के जीव-जंतु मौजूद हैं। अब शेर और मगरमच्छ के जोड़े के आने से जैविक विविधता और भी समृद्ध हुई है। दर्शकों को इन नए जीवों को देखने का अवसर तुरंत मिल सके इसके लिए बाड़ों की तैयारियों को पहले से ही अंतिम रूप दे दिया गया था। सफल आदान-प्रदान के पीछे समर्पित प्रयास इस वन्यजीव विनिमय योजना की सफलता में झारखंड वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस वन्यजीव आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत नया रायपुर के नंदनवन चिड़ियाघर एवं सफारी से भगवान बिरसा जैविक उद्यान में 17 जून(दिन मंगलवार) को चार नए जीवों को लाया गया है। जिनमें एक जोड़ा शेर (Asiatic Lion) और एक जोड़ा मगरमच्छ शामिल हैं। इनमें नर शेर का नाम “अभय” रखा गया है,जिसकी उम्र लगभग 14 वर्ष है। जबकि मादा शेरनी “शबरी” की उम्र चार साल बताई गई है। साथ ही दोनों मगरमच्छों की उम्र भी लगभग तीन से चार वर्ष के बीच है। मौके पर आयोजित एक सादे कार्यक्रम में झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (HoFE) अशोक कुमार,प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन्यप्राणी) पारितोष उपाध्याय,मुख्य वन संरक्षक एवं निदेशक,चिड़ियाघर जब्बर सिंह समेत कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक,चिड़ियाघर निदेशक,सहायक वन संरक्षक,पशु चिकित्सा पदाधिकारी एवं अन्य स्टाफ का योगदान सराहनीय रहा। 

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