बजट और निकाय चुनाव को लेकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने की परिचर्चा, वित्त मंत्री बोले, पार्टी की घोषणाओं को धीरे-धीरे बजट में शामिल करें

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Eksandeshlive Desk

रांची : बजट और निकाय चुनाव को लेकर रविवार को प्रदेश कांग्रेस की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने की। परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर एवं सह प्रभारी सिरिबेला प्रसाद उपस्थित हुए। प्रथम पाली में मंत्री, सांसद, विधायक, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायकों ने भाग लिया, जबकि दूसरी पाली में विस्तारित कार्य समिति के सदस्य, पूर्व प्रदेश पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और बोर्ड निगम आयोग के अध्यक्ष सदस्य उपस्थित थे।

बैठक में मीर ने कहा कि अबुआ बजट कैसा हो इस पर विचार के लिए यह परिचर्चा एक पहल है। बैठक में आए विचारों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत कराया जाएगा। उनसे विचार विमर्श किया जाएगा, जिसमें जनप्रतिनिधि, संगठन के सदस्यों और जनता के विचारों के अनुरूप बजट बनाने की कोशिश की जाएगी। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार हमने जनता को जो गारंटी दी है उसे पूरा करना है। एक गारंटी हमारी मंईयां सम्मान के रूप में पूरी हुई है, इससे जनता के बीच सरकार की विश्वसनीयता बढ़ी है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विस्थापन आयोग अनुसूचित जाति परिषद जातिगत जनगणना के लिए प्रारंभिक बजट प्रावधान किया जाए, झारखंड में जल संचयन के लिए विशेष रूप से बजट में प्रावधान किया जाए। इन सभी सुझावों को मांगों के रूप में मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा ताकि मुख्यमंत्री इस पर संज्ञान लेकर इस पर उचित निर्णय ले सकें। कांग्रेस विधायक दल नेता प्रदीप यादव ने कहा कि हमारे मेनिफेस्टो में कल्याणकारी योजनाएं अधिक हैं। हमें किसानों की योजनाओं पर जोर देने की आवश्यकता है।

विधायक दल के उप नेता राजेश कच्छप ने कहा कि अगर संभव हो तो बजट का आकार बढ़ाया जाए। वित्त मंत्री राधाकृष्णन ने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि पार्टी की घोषणाओं को धीरे-धीरे बजट में शामिल करें हमें यह देखना होता है कि राजस्व प्राप्ति का हमारा स्रोत क्या है। यह वर्ष चुनावी वर्ष था योजनाओं के क्रियान्वयन और राजस्व वसूली पर असर पड़ा है। हम अपने संसाधनों को मजबूत बनाने पर जोर दे रहे हैं और लीकेज को रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है। कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि केंद्र से सहयोग नहीं मिलने बावजूद हमने दो वर्षों तक कंटीन्जेंसी फंड से केंद्रीय योजनाएं चलाई हैं। केंद्र के रवैयै के कारण कई विकास योजनाएं झारखंड में समय पर पूरी नहीं हो पाती। हमें ऐसा जरूर कुछ करना चाहिए कि अगर केंद्रीय सहायता समय पर प्राप्त न हो सके तो योजनाओं को जनहित में पूरा करने की व्यवस्था हो। सांसद कालीचरण मुंडा ने कहा कि झारखंड में वन उपज की बहुतायत है। वन पदार्थ की खरीदारी लैंप्स के माध्यम से करने की व्यवस्था करनी चाहिए। बैठक में कई अन्य वरीय नेताओं ने भी विचार प्रकट किया।