Ashutosh jha
काठमांडू: प्रतिनिधि सभा में सांसद अमरेश कुमार सिंह के उस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बजट आवंटन में भेदभाव किए गए 72 जिलों को पट्टे पर देना ठीक रहेगा। संसद में बोलते हुए निर्दलीय सांसद सिंह ने कहा था कि बजट में केवल पांच जिलों को ही सौभाग्य मिला है और बाकी के साथ भेदभाव किया गया है।
रविवार को प्रतिनिधि सभा की बैठक में सिंह ने कहा कि मैं नेपाल सरकार से आग्रह करना चाहूंगा कि वह चार या पांच भाग्यशाली जिलों को नेपाल में ही रखे और शेष 72 जिलों को अन्य देशों को पट्टे पर दे दे। आइए उन्हें अमेरिका, चीन, भारत को दे दें। यदि बजट उन्हें नहीं मिलने वाला है, तो उन्हें नेपाल में क्यों रखा जाए, सिर्फ कर वसूलने के लिए यूएमएल के मुख्य सचेतक महेश बरतौला ने एमपी सिंह के बयान पर आपत्ति जताई। बरतौला ने कहा, संसद के मंच से यह कहना आपत्तिजनक है कि देश को अमेरिका समेत किसी अन्य देश द्वारा मिला लिया जाना चाहिए। तब सिंह ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मैंने यह नहीं कहा कि चलो इसे दे देते हैं, मैंने कहा था ‘चलो इसे पट्टे पर दे देते हैं। बाटौर्ला ने कहा कि ऐसा बयान देशद्रोह है। हालांकि, सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री और मंत्रियों द्वारा बजट केवल उनके जिले को भेजे जाने पर उन्हें आपत्ति है। बरतौला ने मांग की थी कि सिंह के बयान को संसदीय रिकॉर्ड से हटा दिया जाए। बरतौला ने कहा कि बयान पर कार्रवाई होनी चाहिए, उन्हें आगे बोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और वे देश विरोधी बयानों को चुपचाप नहीं सुन सकते। स्पीकर घिमिरे ने कहा, सांसद ने कहा है कि पांच जिलों को छोड़कर बाकी जिले दूसरे देशों को दे दिए गए होंगे। इसलिए, उनका यह बयान कि वे नेपाल की जमीन दूसरे देशों के नाम कर देंगे, संसद में असंसदीय भाषा में इस्तेमाल किया गया। मैं निर्देश देता हूं कि इस बात को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए, बिना इस तथ्य पर विचार किए कि राष्ट्र के बारे में सवाल उठाने वाली भाषा का इस्तेमाल किया गया।
