बलि और डायन प्रथा है अंधविश्वास : सुनील आनंद

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Eksandeshlive Desk

पूर्वी सिंहभूम: गोलमुरी में युवक अजय बासा की तांत्रिक बलि के बाद समाज में मचे आक्रोश के बीच आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने मंगलवार को एक जनजागरण अभियान शुरू किया है।

आनंद प्रचारक का कहना है कि बलि और डायन प्रथा जैसे अंधविश्वास आज भी समाज को जकड़े हुए हैं, जिन्हें केवल भक्ति, ज्ञान और वैज्ञानिक सोच से समाप्त किया जा सकता है।

आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जनजागरण कार्यक्रम चलाकर कहा कि देवी-देवताओं के नाम पर जीव बलि महापाप है।

सुनील आनंद ने बताया कि सृष्टि में ऐसा कोई मंत्र नहीं है, जिससे किसी मनुष्य को हानि पहुंचाई जा सके।

तंत्र-मंत्र मानव कल्याण के लिए है, न कि किसी की हत्या के लिए। उन्होंने कहा कि तंत्र का अर्थ “तराण” यानी मुक्ति है, जो परम पुरुष की अनुभूति कराता है। उन्होंने कहा कि वे बहुत समय से अंधविश्वास को लेकर जनजागरण अभियान चला रहे हैं।

संघ का मानना है कि डायन प्रथा और बलि प्रथा जैसी कुरीतियाँ समाज की मानसिक कमजोरी और अज्ञानता की उपज हैं। इन्हें खत्म करने के लिए मनुष्य को अपने भीतर स्थित परम चेतन सत्ता को जानना होगा। परमात्मा भक्ति से प्रसन्न होते हैं, किसी वस्तु या बलि से नहीं।

सुनील आनंद ने कहा कि यदि ओझा-गुनी या तांत्रिकों में सचमुच मारने की शक्ति होती, तो उन्हें देश की सीमा पर दुश्मनों से निपटने के लिए भेजा जाता। ऐसे अंधविश्वासों से समाज को मुक्त करने के लिए शिक्षा प्रणाली में इन विषयों की वैज्ञानिक समझ जरूरी है। उन्होंने कहा कि भय और भ्रम से ऊपर उठकर जब मनुष्य परमात्मा भक्ति करेगा, तभी समाज इन बुराइयों से मुक्त होगा।

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