रांची: ब्रह्माकुमारीज एजुकेशन विंग के पांच दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन अंतर्राष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी रतनमोहिनी दादी ने दीप प्रज्वलित कर किया । माउंट आबू( राजस्थान) 6सितंबर अशोक वर्मा ब्रह्मकुमारी के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू के डायमंड हॉल में शिक्षा प्रभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय स्वास्थ्य एवं सशक्त भारत के लिए आध्यात्मिक शिक्षा कार्यक्रम का उद्घाटन संस्था की अंतरराष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र मे प्रभाग की राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बीके शिविका ने कार्यक्रम के प्रारूप पर विस्तार से बताते हुए कहा कि शिक्षक ही समाज के आधार होते हैं इसलिए उन्हें आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सशक्त होने की आवश्यकता है। इससे उनके कार्य अति सहज हो जाएगे। प्रथम वक्ता के रूप में मल्टीमीडिया के चीफ बीके करूणा भाई ने कहा कि संस्था की ओर से कई चैनल कार्यरत है जिससे भारत का आध्यात्मिक ज्ञान पूरे विश्व में फैल रहा है ।
उन्होंने कहा कि भारत की मूल गुरुकुल शिक्षा जो लुप्त होती जा रही थी उसे पुनर्स्थापित करने में मीडिया की हम भूमिका होती है और यह सेवा चैनल दवारा विश्व के 140 देशो में हो रही है। उन्होंने पांच बिंदुओं पर प्रकाश डाला मैं आत्मा हूं ,ईश्वर एक ही है, पांच तत्वो का शुद्धिकरण ,देवतायी संस्कार देना एवं राजयोग को अपनाना था।बीके शीलू दीदी ने अध्यात्म की परिभाषा पर बताया कि खुद को खुद से जोड़ना तथा परमात्मा ईश्वर से मिलाने को अध्यात्म कहते हैं। राग रहीत रहने को वैराग्य कहते हैं। ईश्वर की सारी रचना से प्रेम ही अध्यात्म है। मन को तोड़ना नहीं बल्कि सुंदर बिचार ही हमें शांति देगा ।शांति पुकारने से नहीं मिलेगी शांति तो स्वधर्म है।
कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर के सी पोरिया ने आध्यात्मिक रूपों में रखा ।उन्होंने ब्रह्मकुमारी के सेवा कार्य की प्रशंसा की और कहा कि यह संस्था मूल्यों को जो पुनर्स्थापित कर रही है अपने आप में अनोखा कार्य है। हमारी तलाश बाहर हो रही है जो गलत दिशा की ओर हमारी तलाश है तलाश तो अंदर होनी चाहिए। उन्होंने एक शेर कहा कौन कहता है खुदा नजर नहीं आता सिर्फ वही नजर आता है जब कोई और नजर नहीं आता। अपने जोश भरे एवं प्रभावशाली प्रवचन में रुपेश भाई ने 1 घंटे तक हाल में पिन ड्रॉप साइलेंस रखा। लोगों ने बड़े ही एकाग्र मन से उनकी बातों को सुना और उसको अमल करने का भी उन्होंने आश्वासन दिया ।कार्यक्रम के समापन पर अतिथि गणो को ईश्वरीय सौगात दी गई तथा उन्हें सम्मानित किया गया।