बुजुर्ग की मृत्यु पर लंगर में दाल-फुल्का बरताया जाये: सीजीपीसी

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Eksandesh Desk

जमशेदपुर: वाह्य आडंबरों को छोड़कर किसी व्यक्ति की मृत्यु को भव्य तरीके से पेश करने वालों पर रोक लगाते हुए सिखों की सिरमौर धार्मिक संस्था, सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (सीजीपीसी) ने मृत्यु संस्कारों के संबंध में नए मानदंड लागू किए हैं। शुक्रवार को सीजीपीसी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बुजुर्गों की मृत्यु पर केवल दाल-फुल्का का भोज ही परोसा जाएगा, जबकि असामयिक मृत्यु होने पर केवल चाय और नाश्ते का वितरण किया जाएगा।
सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह और चेयरमैन सरदार शैलेंदर सिंह ने शुक्रवार को एक संयुक्त बयान जारी कर बताया कि वर्तमान में मृत्यु संस्कारों को भव्य तरीके से मनाने की प्रवृत्ति बढ़ गई है, जो समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
उन्होंने कहा, इसलिए, उन्होंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि बुजुर्गों की मृत्यु पर केवल दाल-फुल्का और असामयिक मृत्यु पर केवल चाय-नाश्ता ही वितरित किया जाए। सीजीपीसी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इन मानदंडों का पालन नहीं किया गया, तो मृत व्यक्ति के परिवार को गुरुद्वारा प्रबंधन द्वारा कोई सहयोग नहीं मिलेगा।
साकची गुरुद्वारा के प्रधान सरदार निशान सिंह ने भी इस निर्णय का स्वागत और समर्थन करते हुए कहा है कि वह परिवार प्रशंसा का पात्र हैं जिसने इस मानदंड को पहले से अपनाकर और लोगों को प्रेरित करने का काम किया है। संस्था के महासचिव अमरजीत सिंह एवं गुरचरण सिंह बिल्ला ने कहा है कि जमशेदपुर के सभी सिख परिवार आगे भी इसका मौखिक प्रचार करें ताकि सीजीपीसी अपनी मुहिम में पूरी तरह कामयाब हो सके।
भगवान सिंह और शैलेंदर सिंह ने सिख संगत से अपील करते हुए आह्वान किया है कि कोल्हान के सभी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटियां अपने-अपने गुरुद्वारों में रहत मर्यादा तथा नियमों को पूर्णतः लागु करे।

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