संपादकीय : समय के साथ भूलने की प्रवृत्ति रेल हादसों में करा रही बढ़ोतरी

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : सरकार की ओर से भारतीय रेलवे का कायाकल्प किए जाने के दावे के विपरीत धरातल पर बहुत बदलाव नजर नहीं आ रहा है। पिछले कुछ वर्षों से रेल हादसों में हो रही बढ़ोतरी से यही लगाता है कि रेल सुरक्षा को ‘भगवान भरोसे’ छोड़ दिया गया है। विडंबना है […]

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संपादकीय : क्या अमेरिकी टैरिफ के ‘कोहरे’ से निकलेगा भारत का ‘सूरज’?

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दो अप्रैल के ‘मुक्ति दिवस’ से अमेरिका और शेष दुनिया के बीच ‘व्यापार युद्ध’ तेज होने जा रहा है? ट्रंप इस दिन से कार और कार के नए पार्ट्स पर नए टैरिफ लगाने जा रहे हैं। अमेरिकी प्रेसिडेंट ने कहा है कि वे उन […]

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संपादकीय : तेजी से बदलते फैशन के दौर में बढ़ती ‘टेक्सटाइल वेस्ट’ की चुनौती

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : तेजी से बदलते और बढ़ते फैशन के दौर में ‘टेक्सटाइल वेस्ट’ निस्संदेह बड़ा मुद्दा बन गया है। आज हम पहले से कहीं ज्यादा कपड़े खरीद रहे हैं और उन्हें उतनी ही तेजी से फेंक भी रहे हैं। कीमतों में भारी गिरावट के कारण प्रति व्यक्ति खरीदे जाने वाले कपड़ों […]

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संपादकीय : शांति और विकास से बदलाव लाने की अपील विचारणीय

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का यह कहना विचारणीय है कि हथियार और हिंसा से बदलाव नहीं आ सकता, केवल शांति और विकास से ही बदलाव लाया जा सकता है। निश्चित रूप से किसी भी समस्या का समाधान हिंसा की राह पर चलकर निकाला नहीं जा सकता। ऐसे में केंद्रीय […]

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संपादकीय : नेपाल में ‘राजशाही’ की फिर से वापसी की मांग के मायने

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : क्या नेपाल की जनता का लोकतंत्र से मोह भंग हो गया है? देश में जिस तरह बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं और एक बार फिर से ‘राजशाही’ की मांग उठाई जा रही है उससे यह सवाल उठना लाजिमी है। नेपाल में वर्ष […]

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संपादकीय : झारखंड को मानव तस्करी के कलंक से मुक्त कराना चुनौती

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : झारखंड में मानव तस्करी की समस्या निश्चित रूप से गंभीर हो गई है। हालांकि समय-समय पर मानव तस्करी की शिकार महिलाओं को मुक्त कराकर उन्हें पुनर्वासित किया जा रहा है, लेकिन शासन और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण इस पर रोक नहीं […]

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संपादकीय : समाज की सोच बदली तो बेटियां छूने लगीं बुलंदियां

Alok ranjan jha Dinkar Ranchi : धीरे-धीरे ही सही, समाज की तस्वीर बदल रही है। पिछले कुछ वर्षों में लोगों की सोच में आए सकारात्मक बदलाव से हर क्षेत्र में बेटियां बुलंदियों को छू रही हैं। यह सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास का ही परिणाम है कि अब लोग कहते हैं कि एक महिला […]

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संपादकीय : निजी विद्यालयों की मनमानी पर क्यों नहीं लग रही रोक?

Alok ranjan jha Dinkar रांची : निजी विद्यालयों की आसमान छू लेने वाली फीस निश्चित रूप से आम आदमी के लिए गंभीर मुद्दा बन गया है। चिंता की बात है कि सरकारी विद्यालयों की अव्यवस्था और अभिभावकों का एकजुट होकर विरोध न करने की प्रवृत्ति के कारण निजी विद्यालयों की मनमानी बढ़ती जा रही है। […]

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संपादकीय : न्यायपालिका की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर उठते सवाल

Eksandeshlive Desk रांची : ”मैं तुम्हें अदालत में देखूंगा…” यह वाक्य हमें आमतौर पर सुनने को मिलता है, जो न्यायिक व्यवस्था पर भारत की जनता के भरोसे का प्रतीक है। कहीं भी जब दो लोगों के बीच कोई विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है तो वे न्याय के लिए न्यायालयों का रुख करते हैं, परंतु […]

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संपादकीय : परिसीमन के मुद्दे पर बातचीत से ही निकलेगा सर्वमान्य समाधान

Alok ranjan jha Dinkar रांची : संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का तमिलनाडु से शुरू हुआ विरोध कई राज्यों तक पहुंच गया है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए चिंता की बात है। परिसीमन से जिन-जिन राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व कम होने की संभावना है, उन राज्यों के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके […]

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