मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज आवंटन मामले में अब अगले महीने होगी सुनवाई

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आपने सुपरस्टार सनी देओल की फिल्म दामिनी का ये डायलॉग तो जरुर सुना होगा. तारिख पे तारिख , तारिख पे तारिख मिलती है, लेकिन न्याय नहीं मिला. झारखंड हाईकोर्ट में भी दो मुदकमों पर तारिख पर तारिख मिल रही है लेकिन अंतिम फैसला नहीं नहीं हो पा रहा है.

दरअसल झारखंड हाईकोर्ट में राज्य के दो अहम मामले चल रहे हैं, एक है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का खनन लीज आवंटन का मामला और एक है राज्य में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का मामला, लेकिन इन मामलों की सुनवाई लगातार कई बार से टाली ही जा रही है.

एक बार फिर बीते कल यानी 16 जून को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले पर आंशिक सुनवाई की. हाईकोर्ट ने फिर से फैसले को अगले महिने के लिए टाल दिया है. अब इन मामलों की सुनवाई अगले महिने की 7 तारीख यानी 7 जुलाई को होगी.

दरअसल राज्य सरकार और विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल को पक्ष रखना था. उनकी ओर से अधिवक्ता ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से खंडपीठ को बताया कि कपिल सिब्बल फिलहाल बीमार हैं और उनका इलाज अमेरिका में चल रहा है. इसलिए समय देने का आग्रह किया गया, जिसे खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया है.
हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अनगड़ा में माइनिंग लीज और रिश्तेदारों को जमीन आवंटन के मामले में दायर जनहित याचिका पर आंशिक सुनवाई की. बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ का पद का मुकदमा चल रहा है.

क्या है ऑफिस ऑफ प्रॉफिट

संविधान के अनुच्छेद 102 (1)(ए) में लाभ के पद के बारे में बताया गया. इसमें कहा गया है कि संसद के किसी सदन का सदस्य होने के लिए जरूरी है कि वह किसी भी तरह के पद पर ना हो. इसमें कहा गया है कि सांसद या विधायक ऐसे किसी भी पद पर नहीं हो सकता, जहां अलग से सैलरी, अलाउंस या दूसरे फायदे मिलते हों. अगर संसद में किसी सदस्य के लाभ के पद का मामले सामने आता है तो उसमें राष्ट्रपति का फैसला अंतिम होगा.

बताते चलें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने नाम राजधानी रांची के अनगड़ा में खनन मंत्री रहते हुए खनन लीज पट्टा लेने और उनके करीबियों द्वारा अवैध धन को शेल कंपनी में निवेश का आरोप लगा था.
सबसे पहले यह मामला 20 जनवरी 2022 को सामने आया था. 20 जनवरी 2022 को आरटीआई कार्यकर्ता सुनील महतो ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पद का गलत इस्तेमाल कर अपने नाम से खनन लीज लेने के संबंध में शिकायत पत्र दिया था. जिसके बाद 10 फरवरी 2022 को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस्तीफे की मांग की थी.

इस मामले पर पहले भी हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. जिसमें राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा था. प्रार्थी की ओर से राज्य सरकार के शपथ पत्र पर प्रतिउत्तर दायर किया जाना है. पिछली सुनवाई के राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया था कि अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर माइनिंग लीज आवंटन से संबंधित एक जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है.

इसके अलावा हाईकोर्ट में नेता प्रतिपक्ष मामले को लेकर भी आंशिक सुनवाई हुई और इसे भी 7 जुलाई के लिए टाल दिया गया है.

बता दें कि फिलहाल झारखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां की विधानसभा बिना नेता प्रतिपक्ष के संचालित हो रही है. नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त होने की वजह से कई संवैधानिक संस्थाओं में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
पिछले साढ़े तीन सालों से नेता प्रतिपक्ष का मामला कानूनी दांव पेंच में उलझा पड़ा है. अब यह मामला एक ऐसे मोड़ पर आ खड़ा हुआ है, जहां यह तय होना है कि सदन में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर सिर्फ स्पीकर का अधिकार है या हाईकोर्ट भी कोई निर्णय ले सकता है. सरकार और प्रार्थी से अदालत ने पूछा है कि स्पीकर नेता प्रतिपक्ष के नाम को अनिश्चितकाल तक अपने पास रख सकते है या नहीं. हाईकोर्ट स्पीकर को नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के लिए निर्देश दे सकता है या नहीं. अब दोनों मामलों की सुनवाई7 जुलाई को होगी.