Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज दी कर दी हैं। बिहार की मतदाता सूची की गहन जांच कराने की चुनाव आयोग की घोषणा के बाद से विपक्षी दलों ने इसको लेकर अपना पक्ष रखने के लिए आयोग के साथ बैठक की मांग की थी, लेकिन दो जुलाई को तय यह बैठक राजनीतिक दलों की ओर से पुष्टि नहीं किए जाने के कारण अब स्थगित कर दी गई है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के एक विधिक सलाहकार की ओर से चुनाव आयोग को एक ई-मेल प्राप्त हुआ था। इसमें बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण से संबंधित मामलों पर चर्चा के लिए दो जुलाई को तत्काल बैठक का अनुरोध किया गया था। यह आग्रह एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल की ओर से किया गया था, जिसमें उक्त वकील ने स्वयं को उन सभी दलों का प्रतिनिधि बताया था। चुनाव आयोग ने इस अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए संबंधित राजनीतिक दलों से पुष्टि करने की मांगी थी कि वे 2 जुलाई को शाम 5 बजे प्रस्तावित बैठक में भाग लेने के लिए सहमत हैं या नहीं। हालांकि, आयोग को अब तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से इस बैठक को लेकर कोई औपचारिक पुष्टि प्राप्त नहीं हुई है। इस कारण आयोग को दो जुलाई की प्रस्तावित बैठक को ‘स्थगित’ करना पड़ा है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह सभी दलों से प्राप्त पुष्टि के बाद ही अगली बैठक की तिथि तय करेगा।
चुनाव आयोग से मिला तृणमूल प्रतिनिधिमंडल, मतदाता सूची सहित विभिन्न मुद्दों को उठाया : चुनाव आयोग ने देश में चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करने और राजनीतिक दलों के साथ संवाद बढ़ाने की पहल के तहत सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने की। प्रतिनिधिमंडल में सांसद कल्याण बनर्जी, राज्य सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, अरूप विश्वास और सांसद प्रकाश चिक बड़ाईक शामिल थे। चुनाव आयोग से मिले तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मतदाता सूची, केंद्रीय बलों की भूमिका और राज्यपाल की गतिविधियों सहित कई अहम मुद्दों पर चिंता जताई। बैठक सकारात्मक महौल में हुई और पार्टी ने आयोग पर विश्वास व्यक्त किया। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रतिनिधिमंडल में शामिल वरिष्ठ पार्टी नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि हम चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आयोग निष्पक्षता बनाए रखेगा। उन्होंने मांग की कि बिना राजनीतिक दलों को पूर्व सूचना दिए किसी भी मतदाता को तीन या चार महीने की अवधि के दौरान मतदाता सूची में शामिल न किया जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मतदाता सूची का आधार वर्ष 2003 के बजाय 2024 होना चाहिए। आयोग ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
आयोग ने विचार करने और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया : फिरहाद हाकिम ने कहा कि हमने केंद्रीय बलों के कई बार मतदान केंद्रों पर जाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश का मुद्दा उठाया और मांग की कि उनके साथ राज्य पुलिस की भी उपस्थिति आवश्यक है। इसके अलावा, तृणमूल ने चुनावों के दौरान उपराज्यपाल की गतिविधियों, आधिकारिक कार्यक्रमों में राजनीतिक भाषण देने और आचार संहिता के उल्लंघन जैसे विषयों को भी आयोग के समक्ष रखा। आयोग ने सभी बिंदुओं पर विचार करने और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। चुनाव आयोग का कहना है कि इन बैठकों के पीछे चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि राजनीतिक दलों की चुनाव प्रक्रिया से संबंधित चिंताओं और सुझावों सुनकर, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने का है। चुनाव आयोग इससे पहले भी राष्ट्रीय दलों से विचार-विमर्श करता रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के अगुआई में बसपा प्रतिनिधिमंडल 6 मई को, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की अगुआई में भाजपा प्रतिनिधिमंडल 8 मई को, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव एम.ए. बेबी की अगुआई में सीपीआई(एम) का प्रतिनिधिमंडल 10 मई को, नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष कॉनराडसंगमा 13 मई को और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल 15 मई को चुनाव आयोग के साथ बैठक कर चुका हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, मार्च 2025 में 4,719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गई थीं, जिनमें देशभर के 28,000 से अधिक राजनीतिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।