डेडिकेटेड और ट्रंक लाइन विद्युत बकाया विवाद के समाधान की दिशा में सकारात्मक पहल, उद्योगपतियों ने जताई संतुष्टि

INTERNATIONAL

Ashutosh Jha

काठमांडू : डेडिकेटेड और ट्रंक लाइन से विद्युत उपभोग करने वाले ग्राहकों के विद्युत महसूल (बिल) बकाया विवाद को सुलझाने के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण द्वारा शुक्रवार को संबंधित उद्योगपतियों के साथ विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस पहल को उद्योग जगत ने एक सकारात्मक शुरुआत के रूप में लिया है। बैठक में प्राधिकरण के कार्यकारी निर्देशक हितेन्द्र देव शाक्य द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के आधार पर उद्योगपतियों ने विद्युत महसूल विवाद की पुनरावलोकन प्रक्रिया में जाने की सहमति दी। अब तक की व्यवस्था के अनुसार पुनरावलोकन के लिए २५ प्रतिशत रकम धरौटी के रूप में जमा करनी पड़ती थी, जिसे घटाकर ५ प्रतिशत किए जाने का निर्णय आज प्राधिकरण के बोर्ड बैठक में किया गया। इस निर्णय का उद्योगपतियों ने खुले दिल से स्वागत किया।

कार्यकारी निर्देशक शाक्य ने स्पष्ट किया कि ट्रंक और डेडिकेटेड लाइन से विद्युत आपूर्ति तथा बकाया महसूल उठाने के पूर्व निर्णयों में वे स्वयं शामिल नहीं थे, इसलिए वर्तमान नेतृत्व ‘क्लीन हैंड्स’ की स्थिति में है और निष्पक्ष तरीके से विवाद का समाधान संभव है। उन्होंने यह भी बताया कि प्राधिकरण अब उद्योगपतियों को रोजगारदाता और प्रमुख विद्युत उपभोक्ता के रूप में प्रोत्साहित करने की नीति पर चल रहा है। इसी नीति के तहत, वर्ष 2024 में देशभर सबसे अधिक विद्युत खपत करने वाले 10 उपभोक्ताओं को “सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्राहक”, प्रदेश स्तर पर १० को “अत्यंत महत्वपूर्ण ग्राहक” और वितरण केन्द्र स्तर पर १० को “महत्वपूर्ण ग्राहक” की श्रेणी में सूचीबद्ध किया जाएगा। हालांकि, इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि संबंधित ग्राहकों के नाम पर दो महीने से अधिक का बकाया न हो।

शाक्य ने यह भी बताया कि विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने हेतु एक ओर से आपूर्ति बंद होने की स्थिति में दूसरी ओर से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की योजना बनाई जाएगी। परंतु इसमें समय और बजट की आवश्यकता होगी, इसलिए यह तत्काल संभव नहीं होगा। उपकार्यकारी निर्देशक (वितरण तथा ग्राहक सेवा) दिर्घायु कुमार श्रेष्ठ ने इस बैठक को प्राधिकरण और औद्योगिक उपभोक्ताओं के बीच विश्वास और सहयोग का महत्वपूर्ण अवसर बताया। नेपाल उद्योग वाणिज्य महासंघ के पूर्व अध्यक्ष पशुपति मुरारका ने कहा कि उद्योगपति पहले भी गलत नहीं थे और आगे भी कानून के अनुसार ही चलेंगे। उन्होंने पुनरावलोकन की प्रक्रिया के माध्यम से विवाद समाधान में सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।

सीमेंट उद्योग के प्रतिनिधि ध्रुव थापा ने बताया कि सरकार के विभिन्न निकाय – मन्त्रिपरिषद, संसद की लेखा समिति, विद्युत नियामक आयोग और लाल आयोग – सभी के निर्देश के अनुसार उन्होंने विद्युत उपयोग किया है और वे महसूल चुकाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि लाल आयोग द्वारा तय की गई अवधि के दौरान खपत की गई विद्युत का बिल टीओडी मीटर डेटा के आधार पर चुकता किया जाएगा। अंततः कार्यकारी निर्देशक शाक्य ने इस बात पर जोर दिया कि बीते हुए विवादों में उलझने के बजाय समाधान की ओर आगे बढ़ना प्राधिकरण और उद्योगपतियों दोनों के हित में है।