Eksandeshlive Desk
रांची : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में तीन झारखंडी साहित्यकार डॉ. रोज केरकेट्टा, डॉ. राम प्रसाद एवं डॉ. बी. पी. पिंगुआ की आत्मा के शांति के लिए शोक सह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जिंदर सिंह मुंडा ने इन तीनों विभूति के जीवन एवं इसके साहित्य पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि डॉ. रोज केरकेट्टा और डॉ. राम प्रसाद हिंदी के विद्वान थे, परंतु अपनी मातृभाषा के साहित्यिक विकास के लिए खड़िया और नागपुरी में कई विधाओं में साहित्य रचना किये। इन्होंने हिंदी का खड़िया में और खड़िया का हिंदी में अनुवाद कर पुस्तक प्रकाशित किए। टीआरएल के कॉर्डिनेटर डॉ. विनोद कुमार ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब 1980 में टीआरएल विभाग की स्थापना हुई तब इन तीनों शिक्षकों को अपने – अपने मातृभाषा के क्लास लेने के लिए बुलाया गया।
बताते चलें कि पिछले दिनों 17 अप्रैल 2025 को डॉ. रोज केरकेट्टा का 85 वर्ष के उम्र में रांची में निधन हुआ। वे हिंदी एवं खड़िया के प्राध्यापक, साहित्यकार, समाजसेवी थी। ये जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग रांची विश्वविद्यालय, रांची में स्थित खड़िया विभाग के प्राध्यपक के रूप में विभाग के स्थापना काल से कार्यरत थे। डॉ. राम प्रसाद की मृत्यु 12 अप्रैल 2025 को हुआ था। ये हिंदी एवं नागपुरी भाषा के प्राध्यापक एवं साहित्यकार थे और ये रांची स्थित गोस्सनर कॉलेज के प्राध्यापक थे। डॉ. बी. पी. पिंगुआ का निधन पिछले महीने 31 मार्च 2025 को रांची स्थित आवास में हुआ था। इनका जन्म 14 जनवरी 1941 को हुआ था। ये भूगोल के प्राध्यापक थे। परंतु हो भाषा से गहरा लगाव के कारण वे हो भाषा में भी काफी रचना किये। वे जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में हो के पहला प्राध्यापक थे और वे 1980 से 2001 तक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थे। इसके पूर्व वे रांची कॉलेज में भूगोल विषय में रीडर के पद पर थे। शिक्षण के क्षेत्र में आने से पूर्व वे लेप्टिनेंट मेजर के रूप में भी अपना योगदान दे चुके थे। जिनमें नुङ हम लुकु सारजोम, जुलोः चा, छोटनागपुर योजना रेयः मरसल, अबुअः दुरं, नाअ नेना बानो आदि प्रमुख कृति में है। उसे लाको बोदरा की 100 वीं जयंती के अवसर पर तत्कालिन राज्यपाल श्रीमती द्रोपदी मुर्मू के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए सम्मानित किया गया। श्रद्धांजलि सभा में नागपुरी के प्राध्यपक डॉ. मालती बागिशा लकड़ा, डॉ. मनोज कच्छप, हो के डॉ. जय किशोर मंगल, कुड़मालि के डॉ. निताई चंद्र महतो, खड़िया के शांति केरकेट्टा, संतालि के डॉ. डुमनी माई मुर्मू, संतोष मुर्मू, खोरठा के सुशिला कुमारी, कुड़ुख के सुनिता कुमारी, विभाग के सभी शोधार्थी एवं सैंकड़ो छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।