देश की बेटियों की अस्मिता पर कालनेमियो का अनर्गल प्रलाप क्यों?

360° Editorial Ek Sandesh Live

मनोज कुमार अग्रवाल 

पिछले दिनों एक कथावाचक का युवतियों को लेकर बेहद आपत्ति जनक बयान वायरल हुआ। जिसमें यह  कथावाचक अनिरुद्धाचार्य कहता है कि पच्चीस साल की लड़की कई जगह मुंह मार चुकी होती है। क्या किसी कानून या सरकार ने अब इन बहरुपिए कथा वाचको को देश की बेटियों के चरित्र पर लांछन लगाने का अधिकार दे दिया है? कथा के नाम पर यह मात्र छठी कक्षा पढ़ा कथा वक्ता पिछले कुछ समय से जिस तरह की प्रश्नोत्तरी सोशल मीडिया पर वायरल कर प्रचार पा रहा है वह बेहद भौंडी और धर्म संस्कृति संस्कार सदाचरण से कोसो दूर है। अभी इस कथा वाचक का बयान समाज विशेषकर महिलाओं बच्चियों को मर्माहत कर रहा था कि इसी बीच पिछले कुछ समय में सोशल मीडिया पर छाकर अपनी पहचान बनाने वाले प्रेमानंद महाराज का बेहद आपत्तिजनक बयान वीडियो वायरल हो रहा है. इस वायरल वीडियो में प्रेमानंद महाराज लड़के और लड़कियों के चरित्र पर टिप्पणी कर रहे हैं। 

 महाराज ने एक वायरल वीडियो में कहा है कि , ‘आज के समय में 100 में से मुस्किल से दो-चार लड़कियां ही पवित्र होती हैं, बाकी सभी ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के चक्कर में लगी हुई हैं.’ प्रेमानंद महाराज का ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। महाराज ने आगे कहा था, ‘अगर कोई युवक 4 लड़कियों से संबंध बनाता है, तो वह अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रह पाएगा, क्योंकि उसे व्यभिचार की आदत लग चुकी होती है. इसी तरह, जो लड़की चार पुरुषों से संबंध बना चुकी है, उसके अंदर एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं रहती.’ इसके अलावा उन्होंने कहा कि 100 में से मुश्किल से दो-चार कन्याएं ही ऐसी होती हैं, जो पवित्र जीवन जीकर किसी एक पुरुष को समर्पित होती हैं। 

समझ से परे की बात है कि इस तरह का बयान उन्होंने क्यों दिया? उनके पास इस देश की नारी शक्ति की पवित्रता मापने का कौन सा मापदंड है? समूचे देश की बेटियों के चरित्र पर लांछन लगा रहे महाराज मात्र आठवीं तक की स्कूली शिक्षा पाए हैं सोशल मीडिया पर उनके एकांत वार्ता की हजारों रील प्रसारित है गुरू महिमा का बखान करने वाले एक बालक सक्षम की करुणा भरी आवाज़ में पार्श्व संगीत के साथ बजने वाले वायरल भजन ने बड़ी तादाद में लोगों को उनके प्रति आकर्षित किया है। कभी भक्तों की ओडी और महंगी गाड़ियों में कभी पैदल रात के दो तीन बजे अपने आवास से आश्रम की यात्रा के दौरान हजारों भक्तो के जमघट और जयकारे की रील खूब प्रचारित की जाती रही है। संघ प्रमुख मोहन भागवत क्रिकेट प्लेयर विराट कोहली अभिनेत्री अनुष्का या कुछ अन्य माननीय उन से भेंट करने आ चुके हैं यह उन्हें सर्वमान्य होने का दम्भ भराअहसास कराता है लेकिन ख्याति को पचा पाना सब के वश की बात नहीं है उनके साथ भी यही हुआ है इसे मतिभ्रम की स्थिति ही कहा जाए कि इस सबके बावजूद उन्होंने भाषा और शालीनता की तमाम मर्यादाओं को तोड़कर जिस तरह की टिप्पणी देश की बेटियों की अस्मिता पर की है वह वास्तव में एक संत के मुख से शोभा नहीं देती है। न यह सच्चे संत की भाषा या विचार हो सकता है। 

दरअसल इन दिनों सोशल मीडिया पर सैकड़ों पथ से भटक गयी युवतियों की अवांछनीय हरकतों की रील तरह तरह से वायरल कर इस तरह का वातावरण तैयार किया जा रहा है जिसमें युवतियों लड़कियों को आचरण हीन और मर्यादाहीन जीवन में रत होने का प्रचार किया जा रहा है। लेकिन इस तरह के अमर्यादित वस्त्र और व्यवहार मात्र एक दो प्रतिशत लड़कियां या युवतियां करती है ये सोशल मीडिया पर वायरल रील समूचे समाज की बानगी नहीं है यदि कोई इन रील के आधार पर समाज के चरित्र का आकलन करता है तो वह निरा मूर्ख है। अल्पशिक्षित कथा वक्ता और महाराज इसी तरह का काम कर रहे हैं  महाराज बयान कर रहे हैं कि सौ में से दो चार ही कन्याएं ही ऐसी होती है जो पवित्र जीवन जीकर किसी एक पुरुष को समर्पित होती है। यह बयान निसंदेह एक संत का नही हो सकता है। यदि उनके अपने बेटी होती तो भी वह ऐसा असभ्यता और अतार्किक बयान शायद नहीं करते। 

इस तरह की बयानबाजी समाज में नर नारी के बीच आपसी विश्वास और संबंधों में दरार और संदेह उत्पन्न करेगी। खासकर ऐसे समय में जब भारतीय समाज नीले ड्राम वाली मुस्कान और हनीमून पर पति का कत्ल कराने वाली सोनम के दुराचरण से आहत हैं और युवाओं में विवाह के प्रति आकर्षण उतार पर है संदेह और अविश्वास को बढ़ाने वाले बयान देना समूचे समाज की मानसिकता में महिलाओं लड़कियों के प्रति संदेह और अविश्वास का बीजारोपण कर सकता है। हर शहर कस्बे में इन कथा वक्ता और महाराज के बयानों को लेकर महिलाओं खास कर लड़कियों में गहरी नाराजगी है लेकिन इन लोगों ने अपने बयान पर शर्मिंदगी जताने की इंसानियत भी नही दिखाई है। इनका ऐसा रवैया इनके पाखंडी और मनमाने रवैये को दर्शाता है। 

आपकों बता दें कि भारत के पुरातन वेदों शास्त्रों में नर नारी को न सिर्फ समान सम्मान और आदर से प्रतिष्ठित किया गया है वैदिक ऋचाओं में विश्ववारा गोधा सरमा अपाला घोषा शची लोपामुद्रा भारतीय नारी ऋषियों का बेहद सम्मान पूर्ण स्थान रहा है इतना ही नहीं शास्त्रों में वर्णित सप्तऋषियों में भी एक अरूंधती महिला सप्तऋषि स्थान पर पदस्थ की गयीं जिस सनातन संस्कृति में नारी का इतना उच्च व गौरवशाली स्थान रहा है सीता सावित्री गार्गी के चरित्र अनुपम हैं देश की युवा पीढ़ी की बच्चियों को भारतीय नारियों के गौरवशाली अतीत को स्मरण कराने की जरूरत है न कि उन के चरित्र हनन करने की। इस तरह के अतिरंजित घृणा भरे बयान भारतीय युवा पीढ़ी की बच्चियों के ह्रदय में सुधार के स्थान पर कुंठा और अवसाद को जन्म देगा। जिन वेदों की ऋचाओं को स्वयं नारी ऋषियों ने गढ़ा कालांतर में मध्ययुगीन काल में महिलाओं को ही वेदों के पठन पाठन का अधिकारी नहीं होने का शिगूफा कुछ तत्कालीन धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों ने छोड़ा आज भी इस तरह के कथा वक्ता और महाराज कालनेमियो की तरह नारी के प्रति बेहद घृणास्पद चरित्र हनन करने वाली बदजुबानी कर नारी सम्मान और अस्मिता पर लांछन लगा रहे हैं। 

रील के प्रचार प्रसार के बूते पर समाज में दबदबा बनाने वाले इन लोगों को जानना चाहिए ऋग्वेद में नारी के लिए लिखा है ‘स्त्री हि ब्रह्मा वभुविथ’ यानि नारी ब्रह्मज्ञान की अधिष्ठाता है वह स्वयं विदुषी होती है संतान को सुशिक्षित बनाती है। भारतीय नारी आज भी संसार में अपने उज्जवल चरित्र के लिए पहचान रखती है देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर एक महिला सुश्री द्रोपदी मुर्मू देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद पर महिला सुश्री आनंदी बेन कुशलता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहीं हैं तो देश की बेटी विंग कमांडर सोफिया कुरैशी आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की सीमा में हवाई प्रहार करती है तो सुप्रीम कोर्ट में महिला न्याय मूर्ति बी बी नागरत्ना देश की नारी जगत की गरिमा को अभिवृद्धि कर रहीं हैं। भारत सरकार का महत्वपूर्ण वित्त मंत्रालय भी एक महिला निर्मला सीतारमन बखूबी संभाल रही हैं।देश की करोड़ों बच्चियां अपने अपने क्षेत्र में सम्मान और गौरव भरा काम कर रही हैं। जरूरत है कि देश की बेटियों को इन स्वनामधन्य महिलाओं के जीवन और कार्यों से प्रेरित किया जाए न कि कोई आठवीं छठी कक्षा पढ़ाई वाले महाराज और बहरूपिये कथा वक्ता देश की बेटियों की अस्मिता पर लांछन लगा कर उन्हें कर्तव्य पथ से दिग्भ्रमित और कुंठित करें। ऐसे तथाकथित महाराज बाबा और कथावाचकों के अवांछित बयानों पर सरकार को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और इन पर बी एन एस के प्रावधानों के तहत समुचित कार्रवाई करनी चाहिए। कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता यत्रेनार्यस्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्र फला क्रिया यानि नारी का जहां सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं लेकिन जहां सम्मान नहीं होता है वहां प्रगति विकास की सारी क्रियाएं निष्फल हो जाती है। जरूरत है कि भारतीय समाज इन बहरुपिए मनमाने आचरण करने वाले कथा वाचक और दम्भी स्वयंभू महाराजो के वाकजाल से भ्रमित होने से बचे ज्यादातर कथावाचकों का कथा व्यवसाय है और महाराजो के आश्रम आरामगाह बने है ये अपनी मनमानी धर्म व्याख्या से आमजन को पाखंड का पाठ पढ़ा कर मानसिक आर्थिक शोषण कर रहे हैं और अब तो कुछ देश की बेटियों को चरित्रहीनता का सर्टिफिकेट देने का महापाप कर रहे हैं इन्हें भगवती मां सती मां राधा सद्बुद्धि प्रदान करें। जिस प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं नवरात्रि में कन्या पूजन कर गौरवांवित होते हैं उस प्रदेश की धरती से नारी समाज के प्रति ऐसा नकारात्मक अनर्गल प्रलाप असहनीय है। सरकार कुछ हिम्मत दिखाए और इनकी अवांछनीय बयानबाजी पर जबावदेही तय करे।

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