Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और उपचार संभव होने के बावजूद देशभर में करीब 80 हजार महिलाएं प्रतिवर्ष अपनी जान गंवा देती हैं। वो भी तब, जब वह अपने जीवन के सबसे अच्छे दौर में होती हैं और परिवार व करियर में मुकाम बना चुकी होती हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि सर्वाइकल कैंसर चौथा सबसे आम कैंसर है। इसकी रोकथाम और उन्मूलन कार्य को व्यापक टीकाकरण और जांच कार्यक्रमों में तेजी लाकर संभव किया जा सकता है। हालांकि उन्हें पूरी क्षमता से लागू नहीं किया जा सका है जो बेहद जरुरी है। इसे तीन प्रमुख रणनीतियों और 2030 के स्पष्ट लक्ष्यों के साथ पूरा किया जा सकता है।
इसमें महिलाओं के लिए एचपीवी टीकाकरण को 90 प्रतिशत तक बढ़ाना, जीवन में दो बार सर्वाइकल स्क्रीनिंग के लक्ष्य को 70 प्रतिशत तक बढ़ाना और पूर्व-आक्रामक घावों एवं आक्रामक कैंसर के उपचार को 90 प्रतिशत तक बढ़ाना शामिल है। इस प्रक्रिया को 90-70-90 लक्ष्य भी कहा जाता है, जिससे सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए रोडमैप प्राप्त होगा। डॉ. शंकर के मुताबिक प्रभावी कार्यवाही से लाखों महिलाओं की जान बच सकेगी। सर्वाइकल कैंसर स्वास्थ्य और मृत्यु दर पर प्रभाव डालने के साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, सामाजिक विकास व मानव विकास पर भी भारी बोझ डालता है। महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए एचपीवी टीकाकरण और सर्वाइकल कैंसर की जांच में तेजी लाने के साथ उपचार से जुड़े मिथकों व भ्रांतियों को दूर किया जाना भी जरुरी है। इस कार्य में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने बताया कि शनिवार को दोपहर 02 बजे से शाम 05 बजे तक एम्स के डॉ. रामलिंगस्वामी बोर्ड रूम में सर्वाइकल कैंसर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाने, गलत सूचनाओं का मुकाबला करने और सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और उन्मूलन के बारे में जन सहभागिता बढ़ाना है। इसके अलावा गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की देखभाल से संबंधित विषयों पर मीडिया के प्रतिभागियों के बीच एक कहानी लेखन प्रतियोगिता भी होगी।